समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में बद्रीनाथ धाम के बारे में एक ताजा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस मंदिर को बनाने के लिए बहुजन समाज पार्टी के नेता और आदिवासी समाज के लोगों ने कई मंदिरों को तोड़ा है। इस पर मायावती ने तेजी से प्रतिक्रिया दी और इसे राजनीति से भरा बताया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस घटना पर आपत्ति जताई है और साथ ही समाजवादी पार्टी के संसद डिंपल यादव से जवाब मांगा है। मौर्य ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सभी हिन्दू मंदिरों का होना चाहिए। वे इस बात की मांग कर रहे हैं कि बद्रीनाथ धाम जैसे मंदिर पहले बौध मठ ही था, जिसे बाद में हिन्दू मंदिर बनाया गया है।
इस बयान ने राजनीति में बवाल मचा दिया है और अब इस मुद्दे पर पार्टीयों के बीच टकराव हो रहा है। इससे पहले भी कई बार इस तरह की घटनाओं ने सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से राजनीति में तनाव पैदा किया है। बार-बार केरदार और पार्टियों के नेताओं के बीच टकराव से केवल यही प्रभावित होता है कि जनता अपनी आंखें मूंदकर पार्टियों की राजनीति को देखती रह जाती है।
इससे आगे बढ़ते हुए, हमें इस मुद्दे पर गहरी समझ और समय से पहले और ठीक तरीके से कार्यवाही की आवश्यकता है। इस मसले को सिर्फ राजनीतिक स्तर पर देखने की जगह हमें इसे धार्मिक और सामाजिक स्तर पर भी देखना चाहिए। हमें सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और सामंतवाद नहीं फैलाना चाहिए। कार्यवाही में तत्पर लोगों को इस मुद्दे की सही समझ और समयबद्धता रखनी चाहिए।
सभी पार्टियों को मिलकर इस मुद्दे को हल करने की कोशिश करनी चाहिए और जनता को एक एक जूत देनी चाहिए कि वे अपनी राजनीति को सिर्फ अच्छी और सच्ची सेवा की दिशा में ही बढ़ाने का काम करें। आह रंडाव खंड धाम की इस घटना को सहज रक्षा करने के लिए सभी राजनीतिक दल एकजुट हो कर कार्यवाही लेंगे। सभी समर्थक और राजनीतिज्ञों से अपील है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और इसे तुरंत हल करने की कोशिश करें।
समाचार रिपोर्टर, राजनीति गुरु
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