
बरेली में हाल ही में हुई हिंसक झड़पों के बाद कानून प्रवर्तन की कार्रवाई तेज हो गई है, जिसमें अधिकारी गिरफ्तारी से आगे बढ़कर प्रमुख आरोपियों की कथित अवैध संपत्तियों को निशाना बना रहे हैं। मंगलवार तक, पुलिस ने हिंसा के संबंध में 56 गिरफ्तारियों की पुष्टि की है, जो इस्लामी मौलवी और इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के प्रमुख, मौलाना तौकीर रजा खान द्वारा बुलाए गए विरोध प्रदर्शन के कारण भड़की थी।
बरेली अशांति की पृष्ठभूमि
शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद हुई यह हिंसा तब भड़की जब एक बड़ी भीड़ ने, निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए, विवादास्पद ‘आई लव मुहम्मद’ अभियान के समर्थन में एक नियोजित प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए। इस प्रदर्शन को आधिकारिक अनुमति नहीं दी गई थी, और यह जल्दी ही हिंसक झड़प में बदल गया, जिसमें पुलिस पर पथराव और संपत्ति को नुकसान पहुँचाया गया। मौलाना तौकीर रजा खान, जो एक प्रमुख बरेलवी मौलवी और इस क्षेत्र के राजनीतिक व्यक्ति हैं, को बाद में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, पुलिस ने उन्हें मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामजद किया। कई प्राथमिकियाँ (एफआईआर) दर्ज की गई हैं, जिनमें ज्ञात और अज्ञात दोनों तरह के हजारों व्यक्तियों को नामजद किया गया है।
प्रमुख सहयोगियों और अवैध संपत्तियों पर ध्यान
अभियान का नवीनतम चरण मौलाना तौकीर रजा खान के करीबी सहयोगियों द्वारा बनाए गए कथित “अवैध आर्थिक साम्राज्य” को खत्म करने पर केंद्रित है। 56 गिरफ्तार लोगों में दो प्रमुख हस्तियां शामिल हैं: नदीम खान और डॉ. नफीस खान। नदीम खान, जिन्हें मौलाना तौकीर रजा का “दाहिना हाथ” बताया गया है, भीड़ जुटाने में महत्वपूर्ण थे। पुलिस ने बताया कि नदीम ने प्रदर्शन के लिए हजारों लोगों को इकट्ठा करने के लिए व्हाट्सएप संदेशों का इस्तेमाल किया, और उन पर पुलिस का वायरलेस सेट छीनने और एक अवैध तमंचा (पिस्टल) रखने का भी आरोप है। उनकी गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने नदीम खान और अन्य आरोपियों की एक सार्वजनिक परेड कराई, यह कदम मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने और कानून प्रवर्तन प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया।
हालांकि, हालिया कार्रवाई का मुख्य केंद्र एक अन्य करीबी सहयोगी, डॉ. तौसीफ (जिन्हें रिपोर्टों में डॉ. नफीस और तौफीक के रूप में भी संदर्भित किया गया है) की संपत्तियां हैं। बरेली नगर निगम ने, भारी पुलिस बल की तैनाती के साथ, सिविल लाइंस इलाके में एक व्यावसायिक परिसर में 40 से अधिक अवैध दुकानों को सील कर दिया है, जिसमें “बुलडोजर कार्रवाई” की तैयारी चल रही है। अधिकारियों का आरोप है कि डॉ. तौसीफ ने कथित तौर पर एक ‘मज़ार’ (मस्जिद) की आड़ में जमीन पर कब्जा करके लगभग 70 दुकानों का अवैध निर्माण किया था, और वह हर महीने लाखों रुपये किराया वसूल रहा था।
वक्फ बोर्ड का दावा और सरकारी रुख
यह कार्रवाई उन पोस्टरों के बावजूद हुई है जो साइट पर लगाए गए थे जिनमें दावा किया गया था कि ये संपत्तियां वक्फ बोर्ड की हैं, और एक मामला उच्च न्यायालय में लंबित है, तथा इन दुकानों का किसी व्यक्ति या राजनीतिक संगठन से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, नगर निगम का कहना है कि ये संपत्तियां अवैध अतिक्रमण हैं और मौलाना तौकीर रजा खान के “धार्मिक और राजनीतिक प्रभाव” के कारण पहले कार्रवाई रुक गई थी।
शहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने हिंसा के सुनियोजित स्वरूप और कठोर जांच की पुष्टि की। एक आधिकारिक बयान में, एसएसपी आर्य ने कहा, “व्हाट्सएप के माध्यम से भीड़ जुटाने में नदीम खान की भूमिका और उसके पास से अवैध हथियार की बरामदगी एक पूर्व नियोजित साजिश की ओर इशारा करती है। हमने 56 लोगों को गिरफ्तार किया है और हर उस व्यक्ति की पहचान कर मुकदमा चलाएंगे जिसने कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश की। साथ ही, अवैध संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई, जो इस तरह के प्रभाव से अर्जित हैं, मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार की जा रही है।”
बरेली में की गई कार्रवाई उत्तर प्रदेश सरकार के दंगाइयों के खिलाफ सख्त रुख के अनुरूप है, जिसमें अक्सर सार्वजनिक हिंसा के आरोपियों से जुड़ी अवैध संरचनाओं को तुरंत ध्वस्त या सील कर दिया जाता है। राज्य प्रशासन ऐसे उपायों को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक आवश्यक निवारक मानता है, जो मुख्यमंत्री की उस चेतावनी को बल देता है कि शांति भंग करने वालों को “एक ऐसा सबक सिखाया जाएगा जिसे उनकी आने वाली पीढ़ियां भी याद रखेंगी।” कार्रवाई जारी रहने के कारण बरेली भर में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारी बल की तैनाती बनी हुई है।