कोलकाता — अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल स्टार लियोनेल मेसी से जुड़े एक भव्य कार्यक्रम में अव्यवस्था और सुरक्षा चूक के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जिस तेज़ी से कदम उठाए, उसने राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। सार्वजनिक माफी, कई गिरफ्तारियां, प्रशासनिक जांच और अंततः खेल मंत्री के पद से हटने जैसे फैसलों को सरकार संकट प्रबंधन के रूप में देख रही है, जबकि विपक्ष इसे “राजनीतिक नुकसान को ढकने की कोशिश” बता रहा है।
यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब पश्चिम बंगाल आगामी विधानसभा चुनावों की ओर बढ़ रहा है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेतृत्व किसी भी तरह का नकारात्मक संदेश ज़मीन तक पहुंचने से पहले ही नियंत्रित करना चाहता था, विशेषकर शहरी युवाओं और खेल प्रेमियों के बीच, जो हाल के वर्षों में पार्टी के लिए एक संवेदनशील वर्ग बनकर उभरे हैं।
कार्यक्रम के दौरान भारी भीड़, अपेक्षाओं के अनुरूप आयोजन न होने और सुरक्षा व्यवस्था में कमी के चलते हालात बिगड़ गए। दर्शकों में नाराज़गी फैल गई और आयोजन की छवि को गहरा झटका लगा। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो और तस्वीरों ने सरकार पर दबाव और बढ़ा दिया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने बिना देर किए सार्वजनिक रूप से खेद प्रकट किया और पूरे मामले की जांच के आदेश दिए।
मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा,
“यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और इससे जिनकी भावनाएं आहत हुई हैं, उनके प्रति हम पूरी जिम्मेदारी लेते हैं।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ममता बनर्जी द्वारा सीधे माफी मांगना एक सोची-समझी रणनीति थी, ताकि सरकार को असंवेदनशील या उदासीन दिखने से रोका जा सके।
इसके बाद प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई शुरू हुई। पुलिस और आयोजन से जुड़े कई लोगों से पूछताछ की गई और कुछ गिरफ्तारियां भी हुईं। राज्य सरकार ने एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया, जिसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा योजना और कार्यक्रम समन्वय में कहां चूक हुई।
सबसे अहम राजनीतिक संकेत खेल मंत्री के पद से हटने के फैसले को माना जा रहा है। हालांकि इसे औपचारिक रूप से “नैतिक जिम्मेदारी” के तहत लिया गया कदम बताया गया, लेकिन इससे यह संदेश गया कि सरकार जवाबदेही दिखाने में पीछे नहीं हटेगी। मुख्यमंत्री ने फिलहाल खेल विभाग का प्रभार अपने पास रखा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह इस मुद्दे को व्यक्तिगत निगरानी में रखना चाहती हैं।
विपक्षी दलों ने सरकार की इन कार्रवाइयों पर सवाल उठाए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वाम दलों का कहना है कि यह सब “डैमेज कंट्रोल ड्रामा” है। उनका आरोप है कि सरकार मूल समस्याओं पर ध्यान देने के बजाय ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। विपक्ष का दावा है कि बड़े आयोजनों में वीआईपी संस्कृति और प्रशासनिक लापरवाही बार-बार सामने आती रही है, लेकिन जवाबदेही केवल निचले स्तर तक सीमित रह जाती है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा,
“सरकार को असली जवाबदेही तय करनी चाहिए, न कि प्रतीकात्मक कदम उठाकर मामले को दबाने की कोशिश करनी चाहिए।”
पश्चिम बंगाल में खेल, विशेषकर फुटबॉल, केवल मनोरंजन नहीं बल्कि सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों से जुड़े आयोजनों को राज्य की वैश्विक छवि से भी जोड़ा जाता है। ऐसे में किसी बड़े कार्यक्रम में अव्यवस्था होना केवल प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील मामला बन जाता है।
ममता बनर्जी ने अपने लंबे राजनीतिक करियर में कई बार यह दिखाया है कि वह संकट की स्थिति में त्वरित और निर्णायक कदम लेने से नहीं हिचकतीं। इस बार भी उन्होंने वही रणनीति अपनाई—पहले माफी, फिर कार्रवाई और उसके बाद प्रशासनिक पुनर्गठन।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह पूरा घटनाक्रम चुनावी गणित से अलग नहीं देखा जा सकता। तृणमूल कांग्रेस नहीं चाहती कि विपक्ष इस मुद्दे को लंबे समय तक भुनाए। वहीं विपक्ष इसे सरकार की कार्यशैली और प्रशासनिक नियंत्रण पर सवाल उठाने के अवसर के रूप में देख रहा है।
आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट और आगे की कार्रवाइयों पर सबकी नजर रहेगी। यह तय करेगा कि यह मामला केवल एक आयोजन तक सीमित रहता है या फिर चुनावी राजनीति में एक बड़े मुद्दे के रूप में उभरता है।
