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मुसलमान-यादव पारंपरिक आधार से आगे आरजेडी

In Politics
November 11, 2025
rajneetiguru.com - बिहार चुनाव 2025: मुसलमान-यादव से आगे बढ़ने में आरजेडी की मुश्किलें । Image Credit – The Indian Express

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने पारंपरिक मुसलमान-यादव (एमवाई) वोट बैंक से आगे राजनीतिक विस्तार करने की है। हालांकि पार्टी अब भी इन दो समुदायों के बीच मजबूत पकड़ रखती है, लेकिन कोइरी-कुशवाहा, तेली, निशाद और अन्य अत्यंत पिछड़े वर्गों (ईबीसी) में समर्थन हासिल करना कठिन साबित हो रहा है।

लालू प्रसाद यादव के समय से ही आरजेडी का राजनीतिक आधार मुख्यतः मुसलमानों और यादवों पर टिका रहा है। इन दोनों वर्गों का सम्मिलित वोट प्रतिशत लगभग 28-30 फीसदी तक पहुंचता है, जिसने पार्टी को वर्षों तक बिहार की राजनीति में निर्णायक स्थिति में बनाए रखा। लेकिन बदलते सामाजिक समीकरणों और नए नेतृत्व के आगमन के साथ अब आरजेडी को समझ आ रहा है कि केवल इस वोट बैंक पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है।

तेजस्वी यादव ने नेतृत्व संभालने के बाद “सर्वजन हित” की राजनीति पर जोर दिया, लेकिन पार्टी के निचले ढांचे में जातीय वर्चस्व की छवि अब भी बनी हुई है।

बिहार की राजनीति में कोइरी-कुशवाहा, तेली, नोनिया और निशाद जैसे समूह निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ये वर्ग संख्या में पर्याप्त हैं और कई निर्वाचन क्षेत्रों में नतीजे तय करते हैं। बावजूद इसके, इन समुदायों का एक बड़ा हिस्सा अब तक आरजेडी पर पूर्ण भरोसा नहीं जता पाया है।
इन वर्गों को यह महसूस होता है कि आरजेडी में यादव नेतृत्व प्रमुख है और उनके लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व सीमित है। वहीं, एनडीए गठबंधन ने इन्हीं वर्गों को योजनाओं और स्थानीय नेतृत्व के जरिए जोड़े रखा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार की नई पीढ़ी जाति से अधिक विकास और रोजगार पर ध्यान दे रही है। ऐसे में सिर्फ पारंपरिक नारे या भावनात्मक अपील अब पर्याप्त नहीं रह गए हैं। आरजेडी को यदि सत्ता में वापसी करनी है, तो उसे उन जातियों के बीच भरोसा जगाना होगा जो अब तक उसके साथ सहज नहीं हो पाई हैं।

तेजस्वी यादव ने हाल के चुनावी अभियानों में पिछड़े और महादलित वर्गों के उत्थान की बात जरूर की है, लेकिन जमीनी स्तर पर प्रभाव सीमित दिख रहा है।

2025 के चुनाव में महागठबंधन का भविष्य इन नए सामाजिक समूहों की भागीदारी पर काफी हद तक निर्भर करेगा। अगर आरजेडी उन्हें जोड़ने में सफल होती है, तो उसे स्पष्ट बढ़त मिल सकती है।
दूसरी ओर, अगर पार्टी फिर से केवल मुसलमान-यादव समीकरण पर निर्भर रही, तो सीटों की संख्या सीमित रह सकती है।

राजनीति विज्ञान के एक विशेषज्ञ के शब्दों में —

“बिहार की राजनीति अब जातीय सीमाओं से आगे बढ़ रही है। जो भी दल नए सामाजिक समूहों को अपने साथ जोड़ने में सफल होगा, वही भविष्य में निर्णायक भूमिका निभाएगा।”

आरजेडी के सामने चुनौती दोहरी है — एक ओर पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखना और दूसरी ओर नए सामाजिक गठबंधन बनाना। इसके लिए पार्टी को स्थानीय नेतृत्व को मजबूत करना होगा, गैर-यादव वर्गों को टिकट वितरण में प्राथमिकता देनी होगी, और विकास को जाति-आधारित राजनीति से ऊपर रखना होगा।

तेजस्वी यादव लगातार यह संदेश दे रहे हैं कि “आरजेडी अब सभी वर्गों की पार्टी बनना चाहती है,” लेकिन यह संदेश तभी प्रभावी होगा जब संगठन और नेतृत्व में विविधता दिखेगी।

बिहार में बदलते सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों के बीच आरजेडी का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वह मुसलमान-यादव गठजोड़ से आगे कितना विस्तार कर पाती है। अगर पार्टी नए सामाजिक समूहों का भरोसा जीतने में सफल रही, तो यह न सिर्फ आरजेडी की राजनीति बल्कि बिहार के सत्ता संतुलन को भी नई दिशा दे सकता है।

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  • नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
    दिल से एक कहानीकार, मैं हर क्लिक, हर स्क्रॉल और हर नए विचार में रचनात्मकता खोजता हूँ। चाहे दिल से लिखे गए शब्दों से जुड़ाव बनाना हो, कॉफी के साथ नए विचारों पर काम करना हो, या बस आसपास की दुनिया को महसूस करना — मैं हमेशा उन कहानियों की तलाश में रहता हूँ जो असर छोड़ जाएँ।

    मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
    हमेशा सीखते रहना और आगे बढ़ना — यही मेरा जीवन और लेखन का मंत्र है।

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नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
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मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
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