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ममता बनर्जी ने बंगाल की बाढ़ को बताया ‘मानव निर्मित आपदा

In Politics
October 07, 2025
rajneetiguru.com - पश्चिम बंगाल की बाढ़ पर ममता बनर्जी का बयान: ‘मानव निर्मित आपदा’। Image Credit – The Economic Times

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तर बंगाल में आई हालिया बाढ़ को “मानव निर्मित आपदा” करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह संकट प्राकृतिक कारणों से नहीं, बल्कि बिना समन्वय के जलाशयों से पानी छोड़े जाने और भारत-भूटान के बीच समुचित समन्वय की कमी के कारण उत्पन्न हुआ है।

मुख्यमंत्री बनर्जी ने अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी जिलों के राहत शिविरों का दौरा किया और प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि अब तक 23 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोग बेघर हो गए हैं। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है।

ममता बनर्जी ने कहा, “यह बाढ़ पूरी तरह प्राकृतिक नहीं है। यह जल प्रबंधन की विफलता और बिना योजना के पानी छोड़े जाने का परिणाम है। हमें भूटान के साथ मिलकर एक स्थायी व्यवस्था बनानी होगी ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।”

उन्होंने एक बार फिर “भारत-भूटान नदी आयोग (Indo-Bhutan River Commission)” गठित करने की मांग दोहराई, जिससे दोनों देशों के बीच जल संसाधन प्रबंधन और आपदा नियंत्रण में बेहतर तालमेल स्थापित किया जा सके।

राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि तीस्ता और जलढाका नदियों में अचानक जलस्तर बढ़ने का कारण ऊपरी क्षेत्रों से एक साथ अधिक मात्रा में पानी छोड़ा जाना था। उनका मानना है कि यदि जल निकासी और पूर्व चेतावनी प्रणाली बेहतर होती, तो नुकसान काफी कम किया जा सकता था।

विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री पर बाढ़ प्रबंधन में लापरवाही का आरोप लगाया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार ने समय रहते बाढ़ नियंत्रण संरचनाओं में निवेश नहीं किया और मौसम विभाग की चेतावनियों की अनदेखी की।

इस पर जवाब देते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार “दिन-रात राहत और पुनर्वास कार्यों में जुटी है” और विपक्ष से अपील की कि “मानवीय त्रासदी पर राजनीति न करें।”

राज्य में मानसून के मध्य अक्टूबर तक सक्रिय रहने की संभावना है। इस बीच, मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को तटबंधों की मरम्मत, राहत वितरण की निगरानी और स्वास्थ्य शिविरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस संकट ने एक बार फिर क्षेत्रीय जल प्रबंधन और सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया है। यदि भारत-भूटान नदी आयोग का गठन होता है, तो यह दीर्घकालिक समाधान के रूप में जल नियंत्रण, पारिस्थितिक संतुलन और आपदा प्रतिक्रिया में अहम भूमिका निभा सकता है।

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  • नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
    दिल से एक कहानीकार, मैं हर क्लिक, हर स्क्रॉल और हर नए विचार में रचनात्मकता खोजता हूँ। चाहे दिल से लिखे गए शब्दों से जुड़ाव बनाना हो, कॉफी के साथ नए विचारों पर काम करना हो, या बस आसपास की दुनिया को महसूस करना — मैं हमेशा उन कहानियों की तलाश में रहता हूँ जो असर छोड़ जाएँ।

    मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
    हमेशा सीखते रहना और आगे बढ़ना — यही मेरा जीवन और लेखन का मंत्र है।

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