“सिनेमाघरों में रोज़ाना प्राइम टाइम में बंगाली फिल्में दिखाना अनिवार्य, सरकार का नया आदेश लागू।”
कोलकाता, 14 अगस्त: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2026 विधानसभा चुनाव से पहले ‘बंगालियत’ और क्षेत्रीय पहचान को मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने आदेश जारी करते हुए मल्टीप्लेक्स और सिनेमा हॉल में प्राइम टाइम (दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक) के दौरान हर दिन कम से कम एक बंगाली फिल्म दिखाना अनिवार्य कर दिया है। इस पहल के तहत साल भर में कुल 365 शो बंगाली फिल्मों के होने जरूरी होंगे। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
फैसले की पृष्ठभूमि
राज्य में हाल के वर्षों में हिंदी और अन्य भाषाओं की फिल्मों के बढ़ते दबदबे के बीच, बंगाली फिल्म उद्योग को लेकर चिंता जताई जा रही थी। फिल्म निर्माताओं का कहना था कि प्राइम टाइम स्लॉट में बंगाली फिल्मों को बहुत कम मौका मिल रहा है, जिससे स्थानीय भाषा का दर्शक वर्ग सिमटता जा रहा है।
राजनीतिक निहितार्थ
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल फिल्म उद्योग को राहत देगा, बल्कि ममता बनर्जी के ‘बांग्ला गौरव’ के एजेंडे को भी मजबूती देगा। 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले यह फैसला, सांस्कृतिक पहचान को राजनीतिक समर्थन में बदलने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
फिल्म उद्योग की प्रतिक्रिया
बंगाली फिल्म निर्माताओं और कलाकारों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे क्षेत्रीय सिनेमा को प्रोत्साहन मिलेगा और नए कलाकारों को भी मंच मिलेगा। वहीं, कुछ मल्टीप्लेक्स मालिकों ने चिंता जताई है कि इससे बॉक्स ऑफिस पर व्यावसायिक दबाव पड़ सकता है, खासकर जब बड़ी बजट की हिंदी और अंग्रेजी फिल्में रिलीज़ होती हैं।
निष्कर्ष
ममता सरकार का यह कदम साफ संकेत देता है कि आने वाले चुनाव में ‘बांग्ला गौरव’ और सांस्कृतिक पहचान को बड़ा मुद्दा बनाया जाएगा। अब देखना होगा कि यह फैसला जनता के दिल को कितना जीत पाता है और चुनावी समीकरण में क्या बदलाव लाता है।