महाराष्ट्र में आगामी नगर निगम चुनावों से पहले राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) पर मतदाता सूची संशोधन कराने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। यह मांग उस समय और तेज़ हो गई जब उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मतदाता सूची के सारांश गहन पुनरीक्षण (SIR) की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि चुनावी पारदर्शिता और सटीकता बनी रहे।
विपक्ष — जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) और राकांपा (शरद पवार गुट) शामिल हैं — का आरोप है कि राज्य में मतदाता सूचियों में अनियमितताएं लंबे समय से बनी हुई हैं और उनकी शिकायतों को विधानसभा चुनावों के बाद से लगातार नज़रअंदाज़ किया गया है।
इनमें दोहराव वाले नामों से लेकर मतदाताओं के नाम गायब होने तक के आरोप शामिल हैं।
फडणवीस ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अगर निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए संशोधन जरूरी है, तो उसे अवश्य किया जाना चाहिए।”
उनका यह बयान आयोग को अपनी पहले की स्थिति — यानी SIR को स्थगित करने के फैसले — पर पुनर्विचार करने का संकेत माना जा रहा है।
SEC ने पहले प्रशासनिक बाधाओं और समय की कमी का हवाला देते हुए संशोधन को चुनावों के बाद तक टालने का सुझाव दिया था।
हालांकि, विपक्ष और जनता के बढ़ते दबाव को देखते हुए आयोग अब एक सीमित पुनरीक्षण पर विचार कर सकता है।
SEC के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “जहां बड़े पैमाने पर शिकायतें मिली हैं, उन क्षेत्रों में आंशिक संशोधन की संभावना पर विचार किया जा रहा है।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह केवल प्रशासनिक मुद्दा नहीं, बल्कि अब एक राजनीतिक संदेश का भी प्रश्न बन गया है।
राजनीतिक विश्लेषक अनंत पाटिल का कहना है, “अगर आयोग संशोधन करता है, तो चुनाव में देरी संभव है; और अगर नहीं करता, तो विपक्ष इसे पक्षपात बताएगा।”
कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने आरोप लगाया कि “मतदाता सूचियों में गड़बड़ी जानबूझकर की गई है ताकि शहरी क्षेत्रों में मतदाता जनसांख्यिकी को बदला जा सके।”
वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि वह पारदर्शिता के हर कदम का समर्थन करती है और छिपाने के लिए कुछ नहीं है।
राज्य के नगर निगम चुनाव राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम हैं।
ब्रिहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) सहित कई प्रमुख नगर निकाय पिछले दो वर्षों से प्रशासकीय नियंत्रण में हैं, और इन चुनावों को राज्य की शहरी राजनीति की दिशा तय करने वाला माना जा रहा है।
अब सभी की निगाहें SEC के अंतिम निर्णय पर हैं — क्या आयोग सीमित संशोधन करेगा या पुराने मतदाता सूची के आधार पर चुनाव आगे बढ़ाएगा — यही आने वाले दिनों में तय करेगा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक संतुलन किस दिशा में झुकेगा।
