कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा हरियाणा में मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप लगाने के कुछ दिनों बाद, स्थानीय चुनाव अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जिन नामों का उन्होंने उल्लेख किया था, वे सभी वैध मतदाता हैं जिनके पास सही पते और पहचान पत्र हैं।
होडल और राय विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव अधिकारियों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में किसी भी तरह की “मतदाता चोरी” या फर्जी नाम दर्ज होने का मामला सामने नहीं आया है।
राहुल गांधी ने एक जनसभा के दौरान मतदाता सूची में डुप्लीकेट या “फर्जी मतदाताओं” की उपस्थिति पर सवाल उठाते हुए कुछ उदाहरण पेश किए थे। लेकिन बाद में हुई जांच में पाया गया कि बताए गए सभी नाम सही और सक्रिय मतदाताओं के हैं।
होडल क्षेत्र में, जहां राहुल गांधी ने एक ही पते पर कई परिवारों के नाम दर्ज होने का मुद्दा उठाया था, अधिकारियों ने बताया कि उस इलाके में एक ही भूखंड पर कई मकान बने हैं। “हर परिवार अलग घर में रहता है, लेकिन सभी का मुख्य पता एक ही होता है। सभी मतदाताओं के पास वैध पहचान पत्र हैं और उन्होंने पिछली बार भी मतदान किया था,” पलवल जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा।
राय क्षेत्र में, जिस नाम को गांधी ने विदेशी नागरिक बताया था, जांच में वह व्यक्ति भारतीय नागरिक निकला। चुनाव अधिकारियों ने बताया कि उसका नाम विदेशी जैसा है क्योंकि उसके पारिवारिक संबंध विदेश में हैं।
हरियाणा चुनाव आयोग के बयान में कहा गया, “हर मतदाता नामांकन की कई स्तरों पर जांच होती है। जिन मामलों का उल्लेख किया गया है, उनमें कोई अनियमितता नहीं मिली है।”
राहुल गांधी के आरोपों के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो गई। कांग्रेस ने इसे सत्तारूढ़ दल द्वारा मतदाता सूची में हेरफेर का प्रयास बताया, जबकि भाजपा ने इन आरोपों को “निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित” कहा।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्था है। बिना सबूत के ऐसे आरोप लगाना जनता के विश्वास को कमजोर करता है।”
दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. मीरा टंडन का कहना है, “लोकतंत्र में पारदर्शिता को लेकर चिंताएँ स्वाभाविक हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से आरोप लगाने से पहले तथ्यों की पुष्टि ज़रूरी है।”
चुनाव आयोग ने कहा है कि सभी मतदाता सूचियों की पूरी पारदर्शिता और जांच सुनिश्चित की जाएगी। आयोग ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे मतदाता डेटाबेस की पुनः समीक्षा करें ताकि कोई वास्तविक त्रुटि हो तो उसे सुधारा जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि आधार और पहचान पत्र के साथ मतदाता सूची के डिजिटल एकीकरण के बाद बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा लगभग असंभव है।
