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मंडल से न्याय संकल्प की राजनीति

In Politics
September 25, 2025
rajneetiguru.com - बिहार चुनाव 2025: INDIA का अति पिछड़ा न्याय संकल्प। Image Credit – The Indian Express

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नज़दीक आते ही राजनीतिक रणनीतियाँ जातिगत समीकरणों के और भी तेज़ मोड़ ले रही हैं। विपक्षी गठबंधन INDIA ने हाल ही में अति पिछड़ा न्याय संकल्प नामक 10-बिंदु प्रस्ताव जारी किया है, जो सीधे तौर पर राज्य की अति पिछड़ी जातियों (EBCs) को साधने की कोशिश है।

यह कदम मंडल युग की व्यापक “सामाजिक न्याय” राजनीति से हटकर पिछड़ी जातियों के भीतर मौजूद छोटे-छोटे समूहों पर फोकस करता है। INDIA गठबंधन का उद्देश्य साफ है: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की EBCs पर दशकों से बनी पकड़ को चुनौती देना और RJD का आधार यादव समुदाय से आगे बढ़ाकर अन्य पिछड़े वर्गों तक फैलाना।

न्याय संकल्प प्रस्ताव में कई बड़े वादे किए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • पंचायत और नगर निकायों में EBC आरक्षण को 20% से बढ़ाकर 30% करना।

  • EBC अत्याचार निषेध कानून लागू करना।

  • सरकारी भर्ती में ऐसे प्रावधान हटाना जो EBC उम्मीदवारों को रोकते हैं।

  • भूमिहीन EBC, OBC, SC और ST वर्गों को आवासीय ज़मीन देना।

  • ₹25 करोड़ तक के सरकारी अनुबंधों में 50% हिस्सा पिछड़े समुदाय की कंपनियों को देना।

  • निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण लागू करना।

ये वादे “कल्याण” के बजाय “न्याय” की भाषा में पेश किए गए हैं, ताकि उन समुदायों को लुभाया जा सके जो लंबे समय से उपेक्षित महसूस करते रहे हैं।

बिहार की लगभग 36% आबादी EBCs की है, और यही उनकी चुनावी अहमियत है। नीतीश कुमार ने वर्षों तक योजनाओं और स्थानीय प्रतिनिधित्व के ज़रिए इन समुदायों को अपने साथ जोड़े रखा है। INDIA गठबंधन की कोशिश इस आधार को तोड़ने और राहुल गांधी को सामाजिक न्याय की नई आवाज़ के तौर पर पेश करने की है, साथ ही तेजस्वी यादव की पिछड़ा वर्ग राजनीति को भी मज़बूत करना है।

प्रस्ताव जारी करते समय राहुल गांधी ने कहा:

“यह उन लोगों के लिए वादा है जिन्हें दशकों से पीछे छोड़ दिया गया है। सबसे वंचित वर्गों के लिए न्याय अब और टाला नहीं जा सकता।”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम बिहार की राजनीति की दिशा बदलने का प्रयास है। हालांकि, इन वादों को लागू करने के लिए कानूनी सुरक्षा और मज़बूत संस्थागत व्यवस्था की ज़रूरत होगी।

दूसरी ओर, NDA भी अपनी योजनाओं और नीतीश कुमार की स्थिरता को सामने रखते हुए EBC वोटरों तक पहुँच बनाने में सक्रिय है। आने वाला चुनाव अब सिर्फ़ शासन या विकास पर नहीं, बल्कि इस पर होगा कि “सामाजिक न्याय की विरासत” किसके हाथों मज़बूत होती है।

आने वाले महीनों में एक तीखी जंग दिखेगी — INDIA का नया न्याय संकल्प बनाम NDA का स्थायित्व और पिछली उपलब्धियाँ। बिहार की राजनीति जातीय पहचान से गहराई से जुड़ी हुई है, और चुनावी नतीजा इस बात पर निर्भर करेगा कि अति पिछड़ा समुदाय किस पर भरोसा करता है।

यदि यह रणनीति सफल होती है, तो यह भारतीय राजनीति में एक बड़ा मोड़ होगा — जहाँ व्यापक जातीय गठबंधन से आगे बढ़कर छोटे-छोटे उप-समुदायों पर फोकस किया जाएगा। असली कसौटी यह होगी कि “न्याय संकल्प” वादे के रूप में नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में इन वोटरों को कितना बदल पाता है।

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