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भरतपुर में शाही ध्वज विवाद बढ़ा

In Politics
September 24, 2025
rajneetiguru.com - भरतपुर शाही ध्वज विवाद, अनिरुद्ध-विष्वेंद्र टकराव – The Indian Express

भरतपुर के ऐतिहासिक मोती महल में एक नया विवाद उभर गया है: किस ध्वज को महल की ऊपरी मीनार पर फहराया जाना चाहिए। इस विवाद में नाममात्र के “महाराजा” विष्वेंद्र सिंह और उनके पुत्र अनिरुद्ध सिंह आमने-सामने हैं, और स्थानीय समुदाय भी इस मामले में विभाजित हो गया है।

भरतपुर की शाही परिवार में वर्षों से संपत्ति, विरासत और अधिकार को लेकर झगड़े चलते रहे हैं। विष्वेंद्र सिंह — जो कभी राजस्थान सरकार में मंत्री रह चुके हैं और लोकसभा सांसद भी रहे — सांकेतिक भूमिका रखते हैं, जबकि अनिरुद्ध एवं उनकी माता महल में रहते हैं और कई निर्णयों में भागीदारी का दावा करते हैं।

इतिहास में, दो तरह के ध्वज इस राज्य की शाही विरासत से जुड़े रहे हैं: एक युद्धकाल हेतु (जिसमें अक्सर हनुमान की छवि होती है) और दूसरा “शांति समय” के लिए। कुछ वर्षों पहले, अनिरुद्ध ने पारंपरिक शाही ध्वज को बहुरंगी पाँच पट्टियों वाले ध्वज से बदल दिया था, यह कहते हुए कि यह आधुनिक समय के अनुरूप है।

21 सितंबर की रात तीन लोग महल परिसर में घुसे और “मूल” हनुमान चित्रित ध्वज को फहराने का प्रयास किया। सुरक्षा गार्डों की तत्परता से वे भाग गए, लेकिन विवाद गहरा गया।

अनिरुद्ध ने भड़ककर उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। पुलिस ने एफआईआर की पुष्टि की, लेकिन अभी तक किसी गिरफ्तारी की सूचना नहीं दी। शांतिपूर्वक स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए अनिरुद्ध ने राष्ट्रीय तिरंगा फहरा दिया, लेकिन बाद में उसे भी सुरक्षा कारणों से उतार दिया गया।

विष्वेंद्र सिंह ने उन लोगों के पक्ष में बयान जारी किया और कहा, “महाल मेरे नाम में है। लड़का कौन है FIR लिखवाने वाला?” उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी क्षति नहीं होनी चाहिए और उन्होंने जनभावना से अपनी एकरूपता जताई।

अनिरुद्ध ने पांच पट्टी वाले ध्वज को उचित ठहराया, यह कहते हुए कि पारंपरिक ध्वज युद्धकालीन था, शांति समय के लिए नहीं। उन्होंने कहा, “जब मेरे पिता हमारे साथ थे, तब सर्वसम्मति से शांति ध्वज ऊँचा किया गया था। आज यह विवाद कोर्ट में चल रहे संपत्ति मामले को लेकर फिर छेड़ा जा रहा है।”

विष्वेंद्र ने विरासत के इस हस्तक्षेप को अवैधानिक बताया। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि तिरंगा सर्वोपरि है, लेकिन साथ ही यह भी माना कि समुदाय परिदृश्य के दबाव में शाही ध्वज के पुनर्स्थापन की मांग कर रहा है। स्थानीय समितियों ने पंचायती बैठकों का आयोजन किया और बासंत पंचमी को ध्वज फहराने की योजना बनाई।

भरतपुर की जाट जाति इस झगड़े में विशेष रूप से सक्रिय है। कई के लिए यह शाही झंडा केवल शाही प्रतीक नहीं है, बल्कि उनकी पहचान और गौरव का प्रतीक है। शाही झंडे समर्थक महापंचायतों और सार्वजनिक दबाव से विष्वेंद्र को समर्थन दे रहे हैं।

पुलिस ने सतर्क कदम उठाए हैं। भरतपुर के एसपी ने कहा है कि मोती महल निजी संपत्ति है और जब तक सार्वजनिक शांति बनी रहे, पुलिस हस्तक्षेप नहीं करेगी। साथ ही, पिता और पुत्र के बीच संपत्ति विवाद पर उच्च न्यायालय में सुनवाई जारी है।

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि ऐसे प्रतीकात्मक संघर्ष अक्सर गहरा असर रखते हैं। विष्वेंद्र सिंह की राजनीतिक पहचान को देखते हुए, यह विवाद राजस्थान की सामाजिक और चुनावी धारणाओं को भी प्रभावित कर सकता है।

दोनों पक्ष अपनी स्थिति मजबूत करते दिख रहे हैं। आने वाले समय में महल पर फिर से शाही ध्वज फहराने के प्रयास, न्यायालयीन हस्तक्षेप या राजनीतिक टकराव संभव हैं। यह मामला सिर्फ ध्वज का नहीं, बल्कि विरासत, पहचान और अधिकार की संघर्ष बन चुका है।

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