बिहार के पूर्वी जिले बेगूसराय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘दशाज़ारी योजना’ ने महिलाओं के मत समर्थन को मजबूती प्रदान की है, जबकि युवा वर्ग में रोजगार और अवसरों को लेकर असंतोष बढ़ता दिख रहा है। इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार की एक महिला को आर्थिक सहायता और स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है।
बेगूसराय में एक जनसभा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारी योजना का उद्देश्य हर महिला को आर्थिक स्वतंत्रता देना और परिवार के साथ-साथ राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। महिला सशक्तिकरण से ही समाज में समग्र विकास संभव है।”
स्थानीय महिलाएं इस योजना को लाभकारी मान रही हैं। कई महिलाओं का कहना है कि उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है और वे अपने बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के विकल्प पा रही हैं। एक ग्रामीण महिला ने कहा, “अब मैं अपने परिवार की जरूरतों के लिए स्वयं निर्णय ले सकती हूँ और अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की तैयारी कर सकती हूँ।”
हालांकि, बेगूसराय का युवा वर्ग अभी संतुष्ट नहीं है। रोजगार की कमी, सीमित करियर अवसर और स्थानीय विकास की धीमी गति को लेकर युवा असंतोष व्यक्त कर रहे हैं। 24 वर्षीय एक युवा ने कहा, “महिलाओं की योजनाएं अच्छी हैं, लेकिन हमें भी स्थायी रोजगार और भविष्य की सुरक्षा चाहिए। अगर युवा वर्ग को अवसर नहीं मिलेगा तो इसका असर चुनावी निर्णय पर भी पड़ेगा।”
बेगूसराय को अक्सर बिहार का ‘लेनिनग्राद’ कहा जाता है क्योंकि यह लंबे समय से राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र रहा है। पिछले कई वर्षों में राज्य सरकार ने महिला सशक्तिकरण और कल्याण को लेकर विभिन्न योजनाओं को लागू किया है। इनमें स्वरोजगार, महिला स्वयं सहायता समूह और छात्रवृत्तियां शामिल हैं।
‘दशाज़ारी योजना’ इसी क्रम में एक नई पहल है। इसके तहत महिलाओं को आरंभिक आर्थिक सहायता दी जाती है और स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। इस योजना का उद्देश्य न केवल महिलाओं की आजीविका बढ़ाना है, बल्कि समाज में उनकी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करना भी है।
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि बिहार में महिलाओं का मत चुनावी परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बेगूसराय में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी ने मुख्यमंत्री के समर्थन को सुदृढ़ किया है। महिला मतदाताओं का भरोसा, उनकी कल्याण योजनाओं के प्रति संतोष और व्यक्तिगत लाभ से मजबूत हुआ है।
वहीं, युवा मतदाता वर्ग में असंतोष उभर रहा है। रोजगार की कमी, सीमित स्थानीय अवसर और बेहतर भविष्य की चाह युवा मतदाताओं को चिंतित कर रही है। कई युवा यह मानते हैं कि योजना महिलाओं के लिए लाभकारी है, लेकिन युवा वर्ग के लिए पर्याप्त अवसर नहीं प्रदान करती।
स्थानीय युवाओं का मानना है कि यदि राज्य सरकार युवा रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने में कदम नहीं उठाती है, तो यह उनकी भागीदारी और समर्थन को प्रभावित कर सकता है।
बेगूसराय का चुनावी माहौल इस बात का संकेत देता है कि महिलाएं मजबूत समर्थन देती हुई दिखाई दे रही हैं, जबकि युवा वर्ग में असंतोष भविष्य के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि महिला मतदाताओं के साथ-साथ युवा वर्ग के मतों को भी ध्यान में रखा जाना जरूरी है।
योजना से महिलाओं का समर्थन मजबूत हुआ है, लेकिन युवा वर्ग की चिंताएं सरकार के लिए आगामी चुनाव में चुनौती बन सकती हैं। बेगूसराय के राजनीतिक परिणाम यह तय कर सकते हैं कि महिलाएं और युवा किस हद तक अपने मतों से बदलाव ला सकते हैं।
