पार्टी के भीतर उठे सवाल – भाजपा के प्रति नरमी का संदेश तो नहीं? कुछ नेताओं ने कहा, चुनावी गड़बड़ियों पर बीजेडी ने सबसे पहले आवाज़ उठाई
भुवनेश्वर, 15 अगस्त:
ओडिशा की सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) में हालिया उपचुनाव परिणामों के बाद एक नया सियासी तूफ़ान उठ खड़ा हुआ है। पार्टी ने ‘वोट चोरी’ और चुनावी गड़बड़ियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराया, मगर INDIA गठबंधन के साथ मिलकर सड़कों पर उतरने से परहेज़ किया। इसी वजह से पार्टी के भीतर यह चर्चा तेज हो गई है कि कहीं यह भाजपा के प्रति नरमी का संकेत तो नहीं।
विवाद की पृष्ठभूमि
बीजेडी नेताओं ने आरोप लगाया है कि हालिया उपचुनाव में मतगणना के दौरान कई अनियमितताएं हुईं, जिससे परिणाम प्रभावित हुए। हालांकि पार्टी ने इस विरोध को अकेले दर्ज कराया और विपक्षी INDIA गठबंधन के संयुक्त प्रदर्शनों से दूरी बनाए रखी।
पार्टी के भीतर की बहस
बीजेडी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इस तरह का रुख जनता के बीच यह संदेश भेज सकता है कि पार्टी भाजपा के साथ टकराव से बच रही है। दूसरी ओर, पार्टी के एक धड़े का कहना है कि बीजेडी ने सबसे पहले चुनावी धांधली के मुद्दे को उठाकर अपनी सख्त राजनीतिक स्थिति साफ कर दी थी, इसलिए गठबंधन के साथ दिखावे की ज़रूरत नहीं थी।
राजनीतिक संकेत
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेडी का यह रुख उसके स्वतंत्र सियासी स्टैंड को बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है। इससे पार्टी अपने क्षेत्रीय समर्थकों को यह संदेश देना चाहती है कि वह किसी भी राष्ट्रीय धड़े के दबाव में नहीं है।
निष्कर्ष
‘वोट चोरी’ विवाद ने बीजेडी के भीतर राजनीतिक असहजता पैदा कर दी है। विरोध की तीव्रता बनाए रखते हुए भी INDIA गठबंधन से दूरी बनाकर चलना, आने वाले चुनावों में पार्टी की रणनीति और समीकरण दोनों पर असर डाल सकता है।