मतदाता पहचान में उलझन बढ़ी तो चुनाव अधिकारियों ने निकाला नया रास्ता, परिवारिक लिंक से जुड़ेगा 2003 की सूची से संबंध
बिहार में State Information Report (SIR) के तहत मतदाताओं को पहचान प्रमाणपत्र जमा करने की अंतिम तारीख नज़दीक है। इस बीच बूथ लेवल अफसरों (BLO) ने बताया है कि कई जिलों में मतदाता अब भी उलझन में हैं कि कौन सा पहचान पत्र मान्य होगा।
ऐसे हालात में, निर्वाचन अधिकारियों ने एक नए विकल्प के तौर पर ‘परिवार वृक्ष’ को 12वां दस्तावेज़ मानने का निर्णय लिया है।
घटना की पृष्ठभूम
चुनाव आयोग ने अब तक 11 पहचान पत्रों को मान्यता दी थी, जिनमें आधार कार्ड, वोटर आईडी, पैन कार्ड और बैंक पासबुक शामिल थे। लेकिन, कई मतदाताओं के पास ये दस्तावेज़ या तो उपलब्ध नहीं हैं या उनमें त्रुटियाँ हैं।
ऐसे मामलों में BLO अब परिवार वृक्ष के ज़रिए मतदाता की पहचान की पुष्टि करेंगे और उसे 2003 की मतदाता सूची से जोड़ेंगे।
जमीनी हालात और प्रतिक्रियाएँ
BLOs का कहना है कि कई ग्रामीण इलाकों में लोग यह समझ ही नहीं पा रहे कि कौन सा दस्तावेज़ देना है। कई जगह तो लोग बैंक पासबुक और राशन कार्ड लेकर पहुँच गए।
एक अधिकारी ने कहा – “ऐसे समय में परिवार वृक्ष सबसे कारगर विकल्प है, क्योंकि यह सीधे तौर पर मतदाता के घर-परिवार और पूर्व सूची से जुड़ाव को दिखाता है।”
हालाँकि, विपक्षी दलों ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं और कहा है कि इससे पारदर्शिता पर असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष
बिहार की SIR प्रक्रिया में परिवार वृक्ष को शामिल किए जाने का निर्णय एक तरफ़ मतदाताओं के लिए राहत का साधन है, तो दूसरी तरफ़ राजनीतिक बहस का नया मुद्दा भी बन गया है। अब देखना यह होगा कि अंतिम सूची तैयार होने तक यह कदम कितनी पारदर्शिता और भरोसेमंदी साबित कर पाता है।