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बिहार 2025: एनडीए आगे, लेकिन राह आसान नहीं

In Politics
October 17, 2025
rajneetiguru.com - बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए की बढ़त, पर चुनौतियाँ बरकरार। Image Credit – The Indian Express

पटना – बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्म होती दिख रही है। 2024 के लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को आगामी विधानसभा चुनावों में बढ़त का भरोसा है। लेकिन जमीनी हकीकत बताती है कि इस बार मुकाबला कहीं अधिक कठिन और पेचीदा हो सकता है।

लोकसभा से विधानसभा तक का सफर

2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार के 174 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की थी। इससे गठबंधन के आत्मविश्वास में इज़ाफा हुआ, लेकिन विधानसभा चुनावों का गणित लोकसभा से अलग होता है। यहां स्थानीय मुद्दे, जातीय समीकरण और उम्मीदवारों की लोकप्रियता बड़ी भूमिका निभाते हैं।

वहीं, महागठबंधन (राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और वाम दलों का गठजोड़) बेरोजगारी, महंगाई और सरकारी भर्तियों के वादे जैसे विषयों को प्रमुख चुनावी मुद्दा बना रहा है। ‘हर परिवार को नौकरी’ का नारा युवाओं में तेजी से पकड़ बना रहा है।

नीतीश सरकार की रणनीति

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ध्यान इस बार अपनी सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को जनता तक पहुँचाने पर है। ‘मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना’, ‘हर घर नल का जल’, ‘बिजली सबके लिए’, और ‘युवा स्टार्टअप सहायता कार्यक्रम’ जैसी योजनाओं के जरिए सरकार यह संदेश देना चाहती है कि उसने विकास के हर मोर्चे पर काम किया है।

जदयू और भाजपा दोनों दल चुनाव से पहले अपने पुराने वोट बैंक को संभालने और नए वर्गों को आकर्षित करने में जुटे हैं। हालांकि, गठबंधन के अंदर सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर छोटे स्तर पर असहमति की खबरें भी हैं, जिन्हें सुलझाने की कोशिश की जा रही है।

महागठबंधन की चुनौतियाँ और मौके

महागठबंधन की मुख्य ताकत ग्रामीण इलाकों में उसका मजबूत जनाधार है। तेजस्वी यादव बेरोजगारी, शिक्षक भर्ती और सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर लगातार सरकार को घेर रहे हैं। कांग्रेस राज्य के शहरी और मध्यम वर्गीय मतदाताओं तक पहुँच बढ़ाने की कोशिश में है, जबकि वाम दल संगठनात्मक रूप से सक्रिय हैं।

महागठबंधन की चुनौती यह है कि वह अपने गठबंधन को एकजुट रखे और मतदाताओं के बीच एक स्पष्ट नेतृत्व का चेहरा पेश करे। यदि यह समीकरण सही बैठता है, तो यह एनडीए के लिए सिरदर्द बन सकता है।

प्रशांत किशोर और तीसरा मोर्चा

राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन सुराज इस बार तीसरे मोर्चे की भूमिका में हैं। उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है, पर राज्यभर में जन संपर्क यात्रा और ग्राम स्तर पर संगठन निर्माण में जुटे हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि किशोर का फोकस संगठन को मजबूत करने और जनता में वैकल्पिक राजनीति का विकल्प देने पर है। उनका अभियान पारंपरिक पार्टियों के लिए एक नई चुनौती पैदा कर रहा है।

राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. अरविंद मिश्रा कहते हैं,

“प्रशांत किशोर की भूमिका इस बार निर्णायक भले न हो, पर उनकी उपस्थिति पारंपरिक मतदाताओं के समीकरण को प्रभावित कर सकती है। एनडीए और महागठबंधन दोनों को इस तीसरी ताकत को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।”

राजनीतिक समीकरण और संभावनाएँ

एनडीए फिलहाल गठबंधन के तौर पर आगे दिख रहा है, पर अंदरूनी असंतोष, महागठबंधन की नई रणनीति और युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी इस बढ़त को चुनौती दे सकती है।
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, बिहार का मतदाता जातीय आधार से आगे बढ़कर अब विकास और रोजगार जैसे मुद्दों पर वोट देने की प्रवृत्ति दिखा रहा है। ऐसे में स्थानीय उम्मीदवारों की छवि और जनता से जुड़ाव निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

इस बार का विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले का रूप ले चुका है — एनडीए, महागठबंधन और जन सुराज — तीनों अपने-अपने आधार को मजबूत करने में जुटे हैं। 2024 के लोकसभा परिणाम एनडीए के लिए एक शुरुआती लाभ हैं, पर नवंबर 2025 का नतीजा इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन सा गठबंधन जनता की प्राथमिकताओं और भरोसे को बेहतर ढंग से साध पाता है।

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  • नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
    दिल से एक कहानीकार, मैं हर क्लिक, हर स्क्रॉल और हर नए विचार में रचनात्मकता खोजता हूँ। चाहे दिल से लिखे गए शब्दों से जुड़ाव बनाना हो, कॉफी के साथ नए विचारों पर काम करना हो, या बस आसपास की दुनिया को महसूस करना — मैं हमेशा उन कहानियों की तलाश में रहता हूँ जो असर छोड़ जाएँ।

    मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
    हमेशा सीखते रहना और आगे बढ़ना — यही मेरा जीवन और लेखन का मंत्र है।

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नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
दिल से एक कहानीकार, मैं हर क्लिक, हर स्क्रॉल और हर नए विचार में रचनात्मकता खोजता हूँ। चाहे दिल से लिखे गए शब्दों से जुड़ाव बनाना हो, कॉफी के साथ नए विचारों पर काम करना हो, या बस आसपास की दुनिया को महसूस करना — मैं हमेशा उन कहानियों की तलाश में रहता हूँ जो असर छोड़ जाएँ।

मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
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