
बिहार सरकार ने राज्य के बेरोजगार स्नातकों के लिए एक नई वित्तीय सहायता योजना की घोषणा की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुष्टि की कि इस योजना के तहत पात्र स्नातकों को प्रतिमाह ₹1,000 की आर्थिक मदद दी जाएगी। यह योजना उन युवाओं को तत्काल राहत देने के उद्देश्य से शुरू की गई है, जो पढ़ाई पूरी करने के बावजूद स्थायी नौकरी हासिल करने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री कुमार ने घोषणा करते हुए कहा कि युवाओं के सपनों को पूरा करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। “शिक्षा प्रगति का सबसे बड़ा साधन है। हम अपने स्नातक युवाओं को पढ़ाई के बाद असहाय महसूस नहीं करने देंगे। यह योजना उनकी गरिमा बनाए रखने और रोजगार खोज के दौरान सहायता देने की दिशा में कदम है,” उन्होंने कहा।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ पात्रता शर्तें रखी गई हैं। आवेदक बिहार का निवासी होना चाहिए, मान्यता प्राप्त संस्थान से स्नातक की पढ़ाई पूरी करनी चाहिए और आवेदन के समय बेरोजगार होना आवश्यक है। सहायता राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजी जाएगी ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही यह राशि बेरोजगारी की आर्थिक चुनौतियों का पूरा समाधान नहीं है, लेकिन इससे युवाओं को इंटरव्यू के लिए यात्रा, कौशल प्रशिक्षण या बुनियादी घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, अर्थशास्त्रियों का सुझाव है कि इस योजना के साथ-साथ राज्य में औद्योगिक विकास, कौशल प्रशिक्षण और रोज़गार सृजन को भी समान प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
घोषणा के बाद युवाओं और छात्र संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका मानना है कि यह सरकार द्वारा स्नातकों की समस्याओं को स्वीकारने का संकेत है। वहीं, आलोचकों का कहना है कि सिर्फ आर्थिक मदद देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि रोजगार के ढांचे को मजबूत करना भी ज़रूरी है।
पिछले वर्षों में बिहार ने शिक्षा और साक्षरता दर में प्रगति की है, लेकिन उद्योगों के विस्तार की कमी के कारण बेरोजगारी की समस्या बढ़ती रही है। राज्य सरकार कौशल विकास कार्यक्रम भी चला रही है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि शिक्षा और रोजगार के बीच मज़बूत कड़ी बनाने की ज़रूरत है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह घोषणा चुनावी दृष्टि से भी अहम है क्योंकि युवा वर्ग में बेरोजगारी एक प्रमुख मुद्दा रहा है। प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण से यह सुनिश्चित होगा कि सरकार की भूमिका स्पष्ट रूप से युवाओं तक पहुँचे।
सरकार जल्द ही योजना के कार्यान्वयन के दिशा-निर्देश जारी करेगी और अधिकारियों ने संकेत दिया है कि लाभार्थियों तक सहायता समय पर पहुँचे, इसके लिए नियमित निगरानी भी की जाएगी।
यह योजना राज्य सरकार के इस स्वीकार को दर्शाती है कि बेरोजगारी एक गंभीर सामाजिक-आर्थिक चुनौती है। भले ही यह संपूर्ण समाधान न हो, लेकिन यह उन स्नातकों के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगी जो प्रतिस्पर्धी नौकरी बाज़ार में अपनी जगह तलाश रहे हैं।