पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के अंतिम चरण में मतदाताओं ने रिकॉर्ड उत्साह दिखाया। राज्य के 11 जिलों में हुए अंतिम चरण के मतदान में 68.76% लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया, जो अब तक का सबसे अधिक मतदान प्रतिशत है। पूरे राज्य में औसतन 66.92% मतदान दर्ज किया गया।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह अभूतपूर्व मतदान दर सत्ता-विरोधी लहर और स्थानीय मुद्दों पर जनता की बढ़ती सक्रियता का संकेत है। वहीं, सभी एग्जिट पोल्स ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को स्पष्ट बढ़त का अनुमान लगाया है, जबकि महागठबंधन पीछे दिखाई दे रहा है। जन सुराज पार्टी, जो पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरी है, उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाई।
चुनाव आयोग के अनुसार, इस बार महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा, जो बिहार की बदलती राजनीतिक चेतना को दर्शाता है। ग्रामीण इलाकों में सुबह से ही लंबी कतारें देखी गईं, जबकि शहरी क्षेत्रों में दोपहर के बाद मतदाताओं की भीड़ बढ़ी।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि मतदान शांतिपूर्ण और निष्पक्ष रहा। उन्होंने कहा,
“मतदाताओं ने लोकतंत्र के प्रति अपनी आस्था दिखाई है। इस बार का रिकॉर्ड मतदान बिहार की राजनीतिक जागरूकता का प्रमाण है।”
विभिन्न सर्वेक्षण एजेंसियों द्वारा जारी एग्जिट पोल्स में एनडीए को 160 से 175 सीटों तक मिलने का अनुमान जताया गया है। महागठबंधन को 60 से 75 सीटों के बीच सीमित बताया गया है, जबकि जन सुराज पार्टी के लिए 5 सीटों से अधिक की संभावना नहीं जताई गई है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की संयुक्त रैलियों ने ग्रामीण इलाकों में एनडीए के पक्ष में माहौल बनाया। वहीं, महागठबंधन बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों को पर्याप्त प्रभावशाली तरीके से जनता तक नहीं पहुंचा सका।
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जिसने इस बार “नई सोच, नया बिहार” के नारे के साथ मैदान में प्रवेश किया था, अपेक्षित समर्थन जुटाने में विफल रही। हालांकि पार्टी ने कुछ इलाकों में युवाओं के बीच चर्चा तो पैदा की, लेकिन संगठनात्मक जमीनी नेटवर्क की कमी ने उसके प्रदर्शन को सीमित कर दिया।
चुनाव पर्यवेक्षक अनुराधा मिश्रा ने कहा,
“जन सुराज ने विचार स्तर पर नई बहस छेड़ी, लेकिन राजनीति में स्थायी प्रभाव डालने के लिए उन्हें समय और संगठन दोनों की जरूरत होगी।”
एग्जिट पोल्स के बाद महागठबंधन खेमे में सन्नाटा है। राजद नेताओं ने कहा कि वे अंतिम परिणाम से पहले किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहते। कांग्रेस के नेताओं ने ईवीएम और वोटिंग पैटर्न पर सवाल उठाए हैं, जबकि एनडीए कार्यकर्ताओं ने कई जिलों में पहले से ही जश्न की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
बिहार का यह चुनाव राज्य की राजनीति में कई मायनों में अहम साबित हो सकता है। अगर एग्जिट पोल के अनुमान सही निकलते हैं, तो एनडीए की वापसी राज्य की स्थिरता को मजबूत करेगी और केंद्र के साथ समन्वय को भी बढ़ावा देगी।
दूसरी ओर, महागठबंधन के लिए यह हार आत्ममंथन का विषय बन सकती है, खासकर युवाओं और ग्रामीण मतदाताओं से जुड़ाव की कमी के संदर्भ में।
बिहार ने इस बार मतदान के जरिए लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर साबित किया है। रिकॉर्ड 68.76% मतदान ने न केवल जनता की भागीदारी को नया आयाम दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि राज्य की राजनीति अब पहले से कहीं अधिक जागरूक और मुद्दा-केन्द्रित हो चुकी है।
अंतिम परिणाम भले ही 3 दिनों बाद आएंगे, लेकिन फिलहाल यह साफ है कि बिहार ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर जोरदार संदेश दिया है — लोकतंत्र में जनता ही असली विजेता है।
