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बिहार चुनाव संग हो सकते हैं जम्मू-कश्मीर उपचुनाव

In Politics
September 11, 2025
rajneetiguru.com - जम्मू-कश्मीर की चार राज्यसभा सीटों पर चुनाव जल्द। Image Credit – The Economic Times

जम्मू-कश्मीर में जल्द ही राजनीतिक गतिविधियां तेज होने वाली हैं, क्योंकि संभावना है कि यहां के उपचुनाव बिहार विधानसभा चुनावों के साथ ही कराए जाएं। अधिकारियों के अनुसार, बडगाम और नागरोता विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कराए जा सकते हैं, जहां सीटें लंबे समय से खाली हैं।

इसके साथ ही, चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर की चार राज्यसभा सीटों पर भी चुनाव कराने की तैयारी में है, जो वर्ष 2021 से खाली पड़ी हुई हैं। इन सीटों का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इनके भरने से जम्मू-कश्मीर को राज्यसभा में प्रतिनिधित्व मिलेगा, जो लगभग चार साल से नहीं हो पाया है।

जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची का पुनरीक्षण पूरा हो चुका है। यह चुनावी प्रक्रिया की अहम कड़ी मानी जाती है। मतदान केंद्रों का भी पुनर्मूल्यांकन किया जा रहा है, ताकि सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा सकें। संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती चुनाव आयोग की प्राथमिकताओं में शामिल है।

बिहार चुनावों के साथ उपचुनाव कराना एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। इससे न केवल संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल होगा, बल्कि चुनावी सुरक्षा बलों की तैनाती भी अधिक प्रभावी ढंग से की जा सकेगी।

बडगाम और नागरोता की सीटें राजनीतिक और प्रतीकात्मक दृष्टि से काफी अहम हैं। बडगाम, जो मध्य कश्मीर में स्थित है, वहां का चुनावी रुख अक्सर घाटी की जनभावनाओं को दर्शाता है। वहीं नागरोता, जम्मू क्षेत्र में स्थित है, जहां क्षेत्रीय समीकरण चुनावी नतीजों पर बड़ा असर डालते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन दोनों सीटों के परिणाम जनता की मौजूदा प्रशासन और नीतियों के प्रति धारणा को समझने में सहायक होंगे।

जम्मू-कश्मीर की चार राज्यसभा सीटें 2021 से खाली हैं। इस कारण यहां का प्रतिनिधित्व संसद के उच्च सदन में नहीं हो पाया है। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, “जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा में प्रतिनिधित्व बहाल करना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रक्रिया निर्धारित प्रोटोकॉल और समयसीमा के अनुसार पूरी की जाएगी।”

जम्मू-कश्मीर में होने वाले उपचुनाव और राज्यसभा चुनाव यहां की चुनावी राजनीति को सामान्य बनाने की दिशा में एक और कदम माने जा रहे हैं। अनुच्छेद 370 हटाए जाने और राज्य के पुनर्गठन के बाद से यहां चुनावी प्रक्रिया सीमित रही है।

अगर ये चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हो जाते हैं, तो इससे निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव कराने का रास्ता भी साफ हो सकता है।

जनता के लिए यह अवसर इसलिए भी खास है क्योंकि इससे उन्हें शासन और राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व में अपनी भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा।

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