
हाल ही में पंजाब में आई विनाशकारी मॉनसून बाढ़, जिसने 1,400 से अधिक गांवों को पानी में डुबो दिया और 3 लाख से अधिक एकड़ कृषि भूमि को नुकसान पहुंचाया, के मद्देनज़र आम आदमी पार्टी (AAP) द्वारा संचालित राज्य सरकार ने कृषि संकट के समाधान की दिशा में कदम उठाया है। AAP के पंजाब मामलों के प्रभारी मनीष सिसोदिया ने रविवार को कहा कि सरकार जल्द ही किसानों को उनके खेतों में बाढ़ से आए रेत/बलुआ मिट्टी को हटाने की—and उसे बेचने की—अनुमति देने का प्रस्ताव लेकर आ रही है, ताकि रबी फसल की समय पर बुआई सुनिश्चित की जा सके।
2025 की यह बाढ़ 1988 के बाद पंजाब में सबसे भयावह मानी जा रही है। भारी बारिश और प्रमुख बांधों से पानी छोड़ने के चलते राज्य के कई इलाके—जैसे गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर, पठानकोट, कपूरथला, फाजिल्का, तरनतारन, होशियारपुर और मोहाली—में व्यापक जलभराव हुआ, जिससे फसल ज़मीन बिल्कुल उपज से बाहर हो गई।
राहत अभियान युद्ध-स्तर पर शुरू किए गए। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, सेना, BSF, SDRF समेत नागरिक संगठनों ने सैकड़ों गांवों में लोगों को बचाया, भोजन और चिकित्सा सहायता पहुंचाई।
सिसोदिया ने बताया कि कुछ जगहों पर खेतों में एक से दो फीट तक रेत जमा है, जोकि नवंबर–दिसंबर में रबी बुआई के लिए बड़ी बाधा बन सकती है। मौजूदा खनन कानूनों के तहत अनुमति के बिना रेत निकालना निषिद्ध है। “मुख्यमंत्री जल्द ही एक नीति लेकर आएँगे, अगले एक-दो दिनों में किसानों को अपने खेतों से रेत निकालने की अनुमति दी जाएगी; एक तरह से किसानों को अपने खेतों से रेत निकालने की (खनन) अनुमति दी जाएगी,” सिसोदिया ने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि किसानों को केवल खेत साफ करने का मौका ही नहीं मिलेगा, बल्कि वे इस रेत को निर्माण सामग्री आदि के लिए बेच कर अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान वर्तमान में उपचाराधीन हैं; नीति की औपचारिक घोषणा उनके लौटने या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल होने के बाद की जाएगी। एक कैबिनेट बैठक में इस खनन नीति परिवर्तन को मंजूरी के लिए प्रस्तावित किया जाएगा।
किसान मजदूर मोर्चा (KMM), जिसने रेत हटाने की अनुमति न मिलने पर आंदोलन की चेतावनी दी थी, ने इस घोषणा का स्वागत किया। इसके समन्वयक सरवन सिंह पांढेर ने कहा:
“हम नए खनन नीति का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। … हमें उम्मीद है कि यह नीति सरल होगी और तुरंत आर्थिक राहत प्रदान करेगी, साथ ही रबी सीजन से पहले खेती योग्य भूमि बहाल करने में मदद करेगी।”
वहीं, शिअद उपाध्यक्ष रवींदर सिंह ब्राह्मपुरा ने AAP की आलोचना करते हुए व्यापक पैकेज की मांग की। उन्होंने कहा:
“AAP सरकार का ‘विचार कर रहे हैं’ कहना किसानों को गुमराह करने के बराबर है। सच्ची समस्या सिर्फ रेत हटाना नहीं, बल्कि बर्बाद हुई जमीन को फिर से उपजाऊ बनाना है, जिस पर प्रति एकड़ लाखों रुपये खर्च होंगे।”
सिसोदिया ने केंद्र से लगभग ₹60,000 करोड़ की लंबित धनराशि और विकास निधियों की तत्काल रिलीज़ की अपील की, जिससे बाढ़ राहत कार्यों में तेजी लाई जा सके – वर्तमान देरी से पुनर्वास धीमा हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी 9 सितंबर को पंजाब आने वाले हैं; सिसोदिया ने उनसे किसानों के लिए ठोस राहत उपायों की घोषणा करने का अनुरोध किया है।
भयंकर बाढ़ ने खरीफ फसल को नष्ट कर दिया और रबी फसल की संभावनाओं को भी खतरे में डाल दिया। इस कठिन परिस्थिति में पंजाब सरकार एक असामान्य और संभावित रूप से मार्गदर्शक नीति परिवर्तन की तैयारी में है—जिसमें बाढ़ से जमा रेत को निकालने और बेचने की अनुमति देकर किसानों को राहत और आय दोनों मुहैया कराने का प्रयास है। प्रधानमंत्री की यात्रा तक यह कदम राहत पहुँचा पाएगा या केवल प्रत्यक्ष समस्या का हल, यह भविष्य में स्पष्ट होगा।