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बंगाल में भाजपा की नई चुनावी रणनीति

In Politics
November 21, 2025
rajneetiguru.com - बंगाल चुनाव में भाजपा की रणनीति और ममता चुनौती। Image Credit – The Indian Express

कोलकाता — बिहार में राजनीतिक सफलता को मजबूती के संकेत के रूप में देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब अपना पूरा ध्यान पश्चिम बंगाल पर केंद्रित कर रही है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि 2026 के विधानसभा चुनाव उसके लिए केवल राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि पहचान, भाषा और सांस्कृतिक भावनाओं की परीक्षा भी है। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती ममता बनर्जी की उस राजनीति को कमजोर करना है जिसे पार्टी के अंदरूनी हलकों में “बंगाली अस्मिता का किला” कहा जा रहा है।

2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सबसे बड़ी कमजोरी उसका “बाहरी” (Outsider) का टैग था। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने उस समय भाजपा को गैर-बंगाली पार्टी के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे बंगाली मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा दूर हो गया।
2026 के लिए भाजपा की नई रणनीति इस छवि को तोड़ने पर केंद्रित है। भाजपा अब स्थानीय भाषा, स्थानीय मुद्दों और स्थानीय नेतृत्व को अधिक महत्व दे रही है। पार्टी संगठन ने कई जिलों में यह सुनिश्चित किया है कि प्रचार सामग्री, नारे और अभियान बंगाली संस्कृति को केंद्र में रखकर बनाए जाएँ।

ममता बनर्जी की राजनीति लंबे समय से बंगाली पहचान के इर्द-गिर्द घूमती रही है। वे अक्सर बाहरी ताकतों द्वारा बंगाल की भाषा, संस्कृति और राजनीतिक स्वायत्तता को चुनौती दिए जाने का मुद्दा उठाती हैं।
भाजपा अब इस नैरेटिव को पलटने की कोशिश कर रही है।
पार्टी रणनीतिकारों के अनुसार, भाजपा अब “बंगाल की संस्कृति और विकास दोनों” को जोड़कर नए संदेश गढ़ रही है — यानी अस्मिता और प्रगति को संतुलित रूप में पेश किया जा रहा है।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता (जिनका नाम पार्टी की नीति के अनुसार सार्वजनिक नहीं किया गया) ने कहा:
“ममता दीदी ने अस्मिता को सुरक्षा कवच बना लिया है। लेकिन असली बंगाल वह है जो विकास, रोजगार और कानून-व्यवस्था चाहता है। हमारा प्रयास इसी वास्तविक भावना को सामने लाना है।”

भाजपा का एक महत्वपूर्ण फोकस उन वर्गों पर है जिन्हें 2021 में उसने अपने साथ जोड़ा था, लेकिन बाद में पकड़ ढीली पड़ गई।
मतुआ समुदाय, उत्तर और दक्षिण 24 परगना के सीमावर्ती इलाके तथा प्रवासी-आधारित क्षेत्रों में भाजपा विशेष अभियान चला रही है।
पार्टी की रणनीति यह है कि पहचान-आधारित राजनीति को सामाजिक-आर्थिक मुद्दों के साथ जोड़कर एक व्यापक समर्थन आधार बनाया जाए।

इधर ममता बनर्जी भी भाजपा की आक्रामकता को नजरअंदाज़ नहीं कर रहीं। टीएमसी लगातार भाजपा पर आरोप लगा रही है कि वह बंगाल में “सांस्कृतिक हस्तक्षेप” कर रही है और स्थानीय पहचान को कमजोर करना चाहती है।
ममता बनर्जी ने हाल में एक सार्वजनिक सभा में कहा:
“बंगाल अपनी भाषा, संस्कृति और स्वाभिमान के साथ खड़ा है। हम किसी को भी इसे कमजोर नहीं करने देंगे।”

उनके इस बयान से साफ है कि टीएमसी 2026 के चुनाव को भी उसी पहचान-राजनीति की धुरी पर ले जाने वाली है जो 2021 में उसके लिए लाभदायक साबित हुई थी।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि 2026 में बंगाल की लड़ाई सिर्फ दो पार्टियों की नहीं बल्कि दो नैरेटिव की होगी—

  1. टीएमसी का नैरेटिव: बंगाली अस्मिता और स्थानीयता

  2. भाजपा का नया नैरेटिव: प्रगति, सुरक्षा और विकास के साथ बंगाली पहचान का सम्मान

यदि भाजपा “बाहरी” टैग हटाने में सफल रही तो उसे फायदा मिल सकता है, लेकिन यदि टीएमसी भावनात्मक मुद्दों पर बढ़त बनाए रखती है तो मुकाबला भाजपा के लिए कठिन हो सकता है।

बहार में मिली जीत ने भाजपा को आत्मविश्वास जरूर दिया है, लेकिन पश्चिम बंगाल की राजनीति अपनी जटिलताओं के लिए जानी जाती है।
भाजपा की चुनौती दोहरी है — ममता बनर्जी की अस्मिता राजनीति को कमजोर करना और अपनी बंगाली पहचान को मजबूत साबित करना।
आने वाले महीनों में यह स्पष्ट होगा कि यह रणनीति भाजपा को कितना लाभ पहुंचाती है और क्या वह 2026 में टीएमसी के लंबे समय से बने किले को कमजोर कर पाएगी।

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  • नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
    दिल से एक कहानीकार, मैं हर क्लिक, हर स्क्रॉल और हर नए विचार में रचनात्मकता खोजता हूँ। चाहे दिल से लिखे गए शब्दों से जुड़ाव बनाना हो, कॉफी के साथ नए विचारों पर काम करना हो, या बस आसपास की दुनिया को महसूस करना — मैं हमेशा उन कहानियों की तलाश में रहता हूँ जो असर छोड़ जाएँ।

    मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
    हमेशा सीखते रहना और आगे बढ़ना — यही मेरा जीवन और लेखन का मंत्र है।

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