(UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने आगामी भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच, जो एशिया कप के तहत 14 सितंबर 2025 को दुबई में खेला जाना है, को रद्द करने की जोरदार अपील की है। उन्होंने हाल की आतंकवादी घटनाओं, जैसे कि पहलगाम हमला, और पाकिस्तानी क्रिकेटरों द्वारा आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट निंदा न करने अथवा सोशल मीडिया पर भारत की अपमानजनक टिप्पणियाँ करने का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय आधार-भावनाओं और सुरक्षा को इस तरह के मैच से अधिक महत्व देना चाहिए।
विदेश से जारी किए गए एक वीडियो संदेश में चतुर्वेदी ने बताया कि उन्होंने पहले ही बीसीसीआई के अध्यक्ष को पत्र लिखा था कि यह मैच रद्द हो। उन्होंने कहा, “14 सितंबर को दुबई में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच निर्धारित है… मैंने गृह मंत्री से आग्रह किया कि बीसीसीआई अध्यक्ष को लिखा जाए कि यह मैच रद्द हो…” उन्होंने आगे कहा कि “पाकिस्तानी क्रिकेटरों को उनकी सोशल मीडिया पर हमें अपमानित करते पाया गया है…”
चतुर्वेदी ने “ऑपरेशन सिंदूर” का ज़िक्र किया, जो आतंकवाद से जुड़े मामलों के जवाब में शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि पहलगाम में 26 लोगों की जान गई और 26 महिलाओं को विधवा होना पड़ा। उनका कहना है कि इन परिवारों की भावनाओं और सार्वजनिक भावना को खेल आयोजन से ऊपर रखना चाहिए। “हम तब तक पाकिस्तान के खिलाफ नहीं खेलना चाहेंगे जब तक पाकिस्तानी खिलाड़ी आतंकवादियों का समर्थन करना बंद न करें,” उन्होंने जोर दिया।
केवल मैच रद्द करने की अपील ही नहीं है, बल्कि चतुर्वेदी ने इस मैच के लाइव प्रसारण को ब्लॉक करने की मांग भी की है। उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति में ओटीटी, वेबसाइटों और एप्लिकेशन के माध्यम से मैच का प्रसारण करना उचित नहीं होगा।
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मुकाबले हमेशा राजनीतिक और सामाजिक संवेदनशील रहे हैं। एशिया कप के इस टूर्नामेंट में एक-अन्य राष्ट्र के साथ मुकाबला होना दर्शकों और प्रशंसकों के लिए महत्वपूर्ण होता है, विशेषकर जब रिश्तों में तनाव हो।
पहलागाम हमला, जिसमें 26 नागरिक मारे गए, इस तनाव की ताज़ा घटना है। इसके बाद भारत सरकार ने “ऑपरेशन सिंदूर” अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य आतंकियों और उनके समर्थकों पर कार्रवाई करना बताया गया। प्रियंका चतुर्वेदी की मांग उस व्यापक बहस का हिस्सा है कि क्या ऐसे समय में क्रिकेट-मैच भारत-पाकिस्तान के बीच होना चाहिए जब सुरक्षा, राष्ट्रीय सम्मान और पीड़ितों की भावनाएँ ताज़ा हों।
बीसीसीआई ने अब तक आधिकारिक रूप से मैच रद्द करने की घोषणा नहीं की है; वर्तमान स्थिति अनुसार यह निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार खेला जाना है। इस मांग की समर्थक तमाम राजनीतिक एवं सामाजिक समूह यह तर्क दे रहे हैं कि खेल से ज़्यादा सिद्धांतों और राष्ट्रीय गरिमा का महत्व है। वहीं विरोधी यह कहते हैं कि खेल आयोजन और राजनीति को पूरी तरह अलग रखना चाहिए; क्रिकेट के निर्णयों पर राजनीतिक हस्तक्षेप विवादों को जन्म दे सकता है।
कुछ लोगों ने कोर्ट में भी याचिका दायर की है कि यह मैच राष्ट्रीय भावना और पहलगाम हमले पीड़ितों के परिवारों की भावनाओं के विरुद्ध है। लेकिन कानूनी विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि टूर्नामेंट का आयोजन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बोर्डों द्वारा अनुमोदित हो, तो न्यायालय संभावना से बचने की प्रवृत्ति रखते हैं।
मैच के कुछ दिन बचे हैं, लेकिन मामला विभाजनकारक बना हुआ है। चतुर्वेदी की अपील उन राजनीतिक और नागरिक भावनाओं को प्रतिबिंबित करती है जो यह सवाल उठाती हैं कि क्या इस समय पाकिस्तान के खिलाफ उच्च-प्रोफ़ाइल मुकाबले होने चाहिए। यदि मैच निर्धारित रूप से हुआ, तो चतुर्वेदी ने संकेत दिया है कि वो और उनके समर्थक शायद ना देखें, ना प्रसारित करें और ना ही प्रचार करें।
मामला केवल क्रिकेट का नहीं है; यह प्रश्न है कि राष्ट्र की गरिमा, आतंक पीड़ितों की स्मृति, और खेल और राजनीति तथा नैतिकता के बीच संबंध कैसे हो। इस विवाद से बीसीसीआई, सरकार या न्यायालयों की ओर से कोई कार्रवाई होगी या नहीं, यह देखना होगा।
