
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और अनुभवी राजनेता रामविलास पासवान को उनकी पाँचवीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने पासवान को “सामाजिक न्याय का प्रतीक” बताते हुए कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन वंचित वर्गों के कल्याण के लिए समर्पित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “रामविलास पासवान जी ने गरीबों और वंचितों के उत्थान के लिए अथक परिश्रम किया। उनका जीवन समावेशी सोच और समानता की भावना का प्रतीक है, जो हमारे लोकतंत्र को मज़बूत बनाता है।”
रामविलास पासवान, लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के संस्थापक, देश के सबसे प्रमुख दलित नेताओं में से एक थे। उनका राजनीतिक जीवन पाँच दशकों से अधिक लंबा रहा और उन्होंने विभिन्न प्रधानमंत्रियों के साथ केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया। वे अपने व्यावहारिक राजनीतिक दृष्टिकोण और दलों के बीच संवाद स्थापित करने की क्षमता के लिए जाने जाते थे।
1946 में बिहार के खगड़िया जिले में जन्मे पासवान ने अपनी राजनीतिक यात्रा समाजवादी आंदोलन से शुरू की थी। बाद में उन्होंने जनता पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की। इस पार्टी का उद्देश्य सामाजिक न्याय, समानता और पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण पर केंद्रित था।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पासवान ने न केवल बिहार बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन राजनीति को आकार देने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने दलितों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को राजनीतिक आवाज़ दी और उन्हें मुख्यधारा की राजनीति से जोड़ा।
उनकी पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कई वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति ने उन्हें “दूरदर्शी नेता और सामाजिक समानता के सच्चे समर्थक” बताया।
एलजेपी (रामविलास) के अध्यक्ष और उनके पुत्र चिराग पासवान ने भावुक संदेश साझा करते हुए कहा, “पिता का सपना था कि भारत का कोई भी नागरिक जाति या गरीबी के कारण पीछे न रहे। मैं उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए समर्पित रहूंगा।”
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि चिराग पासवान अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं और बिहार की राजनीति में एक नई पीढ़ी का नेतृत्व उभर रहा है। एलजेपी (रामविलास) आज भी राज्य के दलित मतदाताओं के बीच प्रभावशाली उपस्थिति बनाए हुए है।
रामविलास पासवान का जीवन समानता, धर्मनिरपेक्षता और जनकल्याण के प्रति उनकी अटूट निष्ठा का प्रतीक था। प्रधानमंत्री मोदी का संदेश इस बात को रेखांकित करता है कि वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने सामाजिक न्याय और जनसेवा को राजनीति का आधार बनाया।
उनकी स्मृति इस बात की याद दिलाती है कि भारत की लोकतांत्रिक भावना तभी सशक्त बनेगी जब राजनीति न्याय और समावेशिता पर आधारित होगी।