
भारतीय राजनीति के जटिल परिदृश्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे नेता के रूप में उभरे हैं जिन्होंने सत्ता, संगठन और शासन की कार्यप्रणाली को नए सिरे से परिभाषित किया है। पिछले एक दशक में उन्होंने न केवल सरकार के मुखिया के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाज के बीच रिश्ते को भी नई दिशा दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोदी का उदय भारतीय लोकतंत्र में एक बुनियादी बदलाव का प्रतीक है, ठीक वैसे ही जैसे जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के समय कांग्रेस राजनीति पर हावी थी। प्रसिद्ध राजनीतिक वैज्ञानिक राजनी कोठारी ने इसे “कांग्रेस प्रणाली” कहा था। आज कई जानकार मानते हैं कि उसकी जगह अब “भाजपा प्रणाली” ने ले ली है।
भाजपा नेता और विचारक विनय सहस्रबुद्धे इस बदलाव को स्पष्ट करते हुए कहते हैं: “राजनी कोठारी ने एक बार कांग्रेस प्रणाली की बात की थी। आज एक भाजपा प्रणाली है। मोदी ने यह संतुलन शासन और संगठन दोनों में समझौता किए बिना हासिल किया है।”
2014 से मोदी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को निर्णय लेने का प्रमुख केंद्र बना दिया है। अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत जिन्हें अक्सर गठबंधन राजनीति का संतुलन साधना पड़ता था, मोदी ने लगातार बहुमत की सरकार चलाई और बड़े सुधार लागू किए। अनुच्छेद 370 का हटना, वस्तु एवं सेवा कर (GST) और डिजिटल गवर्नेंस पर जोर इसके उदाहरण हैं।
साथ ही, उन्होंने भाजपा को एक जन-आधारित संगठन में बदल दिया है जिसका प्रभाव अब पूर्वोत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक फैला हुआ है।
मोदी की खासियत रही है कि उन्होंने शासन को राजनीतिक पहुंच से जोड़ा। प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने न केवल करोड़ों लोगों के जीवन को बदला बल्कि भाजपा के लिए चुनावी सफलता भी सुनिश्चित की।
विश्लेषक मानते हैं कि मोदी के नेतृत्व ने भारतीय राजनीति में सांस्कृतिक और वैचारिक बदलाव भी किया है। राष्ट्रवाद, विकास और कल्याणकारी शासन पर जोर ने एक नया राजनीतिक आख्यान गढ़ा है।
हालांकि आलोचक कहते हैं कि सत्ता का इतना केंद्रीकरण लोकतांत्रिक संतुलन और संस्थागत स्वायत्तता के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। फिर भी, मोदी का प्रभाव निर्विवाद है।
1960 के दशक में राजनी कोठारी ने जिस “कांग्रेस प्रणाली” का उल्लेख किया था, वह कांग्रेस की उस ताकत को दर्शाता था जिसके जरिए उसने अलग-अलग समूहों को अपने साथ जोड़े रखा। लेकिन समय के साथ उसका क्षरण हुआ। अब मोदी के दौर में “भाजपा प्रणाली” का उदय इसी नए राजनीतिक युग का संकेत है।
आज नरेंद्र मोदी उस प्रधानमंत्री के रूप में खड़े हैं जिन्होंने आधुनिक भारत में सत्ता, दल और राजनीति को नए रूप में परिभाषित किया है।