नई दिल्ली — आज देशभर में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया, जिसके दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकों और सरकारी अधिकारियों को “एकता की शपथ” दिलाई। यह कार्यक्रम देश के पहले गृह मंत्री और एकता के प्रतीक सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर आयोजित किया गया।
राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत 2014 में की गई थी, ताकि भारत की विविधताओं में एकता और अखंडता की भावना को मजबूत किया जा सके। यह दिन हर वर्ष 31 अक्टूबर को मनाया जाता है और इस अवसर पर विभिन्न शैक्षणिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
आज के समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने उपस्थित लोगों को “मैं अपनी देश की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हूँ” की शपथ दिलाई। इसके बाद सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और परेड का आयोजन हुआ जिसमें सुरक्षा बलों और युवाओं ने हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री ने कहा,
“देश की एकता हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। हमें इसे बनाए रखना और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।”
कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिकों में देशभक्ति और सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देना था। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों और संस्कृतियों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया, जिससे “विविधता में एकता” का संदेश मजबूत हुआ।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के समारोह केवल प्रतीकात्मक नहीं हैं, बल्कि समाज में एकता और सहिष्णुता की भावना को जागरूक करने का महत्वपूर्ण माध्यम हैं। यह नागरिकों को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति सजग करता है और राष्ट्रीय हित में योगदान देने की प्रेरणा देता है।
हालांकि राष्ट्रीय एकता दिवस के माध्यम से एकता का संदेश दिया जाता है, लेकिन सामाजिक और राजनीतिक विभाजन, भेदभाव और असमानता जैसी चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। इनका सामना केवल शपथ से नहीं किया जा सकता। इसके लिए शिक्षा, नीतिगत सुधार और नियमित नागरिक सहभागिता जरूरी है।
सरकार ने भविष्य में भी इस तरह के आयोजनों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है, जिसमें युवाओं की भागीदारी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जाएगा। इसका उद्देश्य समाज में लंबे समय तक स्थायी एकता और सहिष्णुता का माहौल बनाना है।
प्रधानमंत्री द्वारा “एकता की शपथ” दिलाना इस बात का प्रतीक है कि भारत के नागरिकों को एक साथ मिलकर अपने देश की अखंडता और एकता की रक्षा करनी होगी। यह एक प्रतीकात्मक कदम है, जिसका वास्तविक असर तभी होगा जब इसे रोज़मर्रा की जीवन शैली, नीति और व्यवहार में लागू किया जाए।
