
लगभग पाँच दशकों बाद नागा आंदोलन के वरिष्ठ नेता थुइंगालेन्ग मुइवाह बुधवार को अपने पैतृक गांव सोमदल (उख्रुल जिला, मणिपुर) लौटने जा रहे हैं। 91 वर्षीय मुइवाह की यह यात्रा केवल एक व्यक्ति की घर वापसी नहीं, बल्कि नागा इतिहास, राजनीति और पहचान की जड़ों से जुड़ने का प्रतीकात्मक क्षण बन गई है।
मुइवाह नागा आंदोलन के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक रहे हैं। 1960 के दशक में शुरू हुए नागा स्वायत्तता संघर्ष में उन्होंने अपनी भूमिका निभाई और आगे चलकर नागा समाज के भीतर “स्वतंत्र पहचान” की मांग का नेतृत्व किया। वे नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (NSCN-IM) के महासचिव के रूप में दशकों तक सक्रिय रहे और भारत सरकार के साथ हुई कई दौर की शांति वार्ताओं में अग्रणी भूमिका निभाई।
1997 में हुए संघर्षविराम के बाद मुइवाह ने सशस्त्र आंदोलन से संवाद की राह चुनी। वर्षों बाद यह पहली बार है जब वे अपने जन्मस्थल सोमदल में कदम रखने जा रहे हैं, जहां उन्होंने युवावस्था बिताई थी।
मुइवाह की इस यात्रा को लेकर उख्रुल जिले में उत्साह का माहौल है। उनके आगमन से पहले गांव को सजाया गया है, स्थानीय समुदायों ने पारंपरिक स्वागत कार्यक्रमों की तैयारी की है और सुरक्षा व्यवस्था को भी सुदृढ़ किया गया है।
स्थानीय संगठनों का कहना है कि यह क्षण नागा समाज की एकता और शांति के संदेश को मजबूत करेगा। एक वरिष्ठ नागा समुदाय प्रतिनिधि ने कहा,
“मुइवाह की यह वापसी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि हमारी साझा स्मृति और पहचान की वापसी है।
मणिपुर इन दिनों अपनी आंतरिक अस्थिरता से जूझ रहा है — राज्य में जातीय तनाव और सामाजिक विभाजन गहराए हुए हैं। ऐसे माहौल में मुइवाह की यात्रा शांति और पुनर्मिलन का प्रतीक मानी जा रही है। हालांकि, नागा राजनीतिक वार्ता अभी भी ठहराव की स्थिति में है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मुइवाह की यह यात्रा नागा वार्ता प्रक्रिया को फिर से गति देने का अवसर बन सकती है। इससे यह संकेत भी मिल सकता है कि नागा नेतृत्व अब धीरे-धीरे क्षेत्रीय एकजुटता और संवाद के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहता है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि मुइवाह की उपस्थिति पीढ़ियों के बीच संवाद को पुनर्स्थापित करेगी। बहुत से युवा नागा जो केवल उनके नाम से परिचित थे, अब पहली बार उन्हें प्रत्यक्ष रूप से देख पाएंगे।
एक युवा नेता ने कहा,
“हमारे बुजुर्गों ने जिस आंदोलन की शुरुआत की थी, उसकी भावना हम तक अब नए रूप में पहुँचेगी। यह पल इतिहास को जिंदा देखने जैसा है।”
हालांकि मुइवाह की इस यात्रा का तत्काल राजनीतिक प्रभाव स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसे एक सांकेतिक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। उनकी बढ़ती उम्र और बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच यह संभव है कि आने वाले समय में नागा नेतृत्व अधिक व्यावहारिक और संवाद-आधारित रणनीति अपनाए।
विश्लेषकों के अनुसार, यदि यह यात्रा शांतिपूर्ण और एकता का संदेश देकर संपन्न होती है, तो यह न केवल नागा समाज के लिए बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति बहाली के लिए सकारात्मक संकेत दे सकती है।
थुइंगालेन्ग मुइवाह का सोमदल लौटना एक इतिहास का चक्र पूरा होने जैसा है। यह वही धरती है जहां से आंदोलन की शुरुआत हुई थी, और अब शायद यहीं से संवाद का एक नया अध्याय शुरू हो सकता है। 50 साल बाद यह घरवापसी न केवल एक व्यक्ति की यात्रा है, बल्कि एक पूरे समुदाय के आत्ममंथन और उम्मीद का प्रतीक है।