पंजाब की राजनीति में एक नया विवाद तब छिड़ा है, जब शिरोमणी अकाली दल (एसएडी) की एक वरिष्ठ नेता की बेटी, कंचनप्रीत कौर — जिसे आगामी जिला परिषद चुनावों में प्रत्याशी के रूप में आगे किया गया था — को गिरफ्तार किया गया। उन पर एक कुख्यात गैंगस्टर से कथित संबंध और फर्जी पहचान उपयोग करने के गंभीर आरोप लगे हैं।
कंचनप्रीत को मजीठा थाने में पुलिस ने गिरफ्तार किया। आरोप है कि उन्होंने फर्जी पासपोर्ट विवरण दिए और अवैध रूप से भारत में प्रवेश कराने में मदद की। पुलिस का दावा है कि उन्होंने अपने पति, अमृतपाल सिंह बाठ नामक वारंटी-गैंगस्टर के लिए फर्जी पहचान बनवाई और उसी पहचान को अपने बच्चे के आप्रवासी दस्तावेजों में उपयोग किया।
पासपोर्ट से जुड़ी इस जाँच के अलावा उन पर पिछले उपचुनाव में मतदाताओं को धमकाने और चुनावी गड़बड़ी से जुड़ी प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी। पुलिस सहायक साक्ष्यों की जांच कर रही है कि क्या वह बाथ की सोशल नेटवर्क या गैंग के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही थीं।
गिरफ्तारी के बाद कंचनप्रीत को अदालत में पेश किया गया। देर रात तक चली सुनवाई के पश्चात अदालत ने गिरफ्तारी प्रक्रिया में खामियाँ पाईं और उन्हें पुलिस हिरासत से रिहा कर दिया। इस निर्णय पर एसएडी समर्थकों में उत्साह देखा गया, जिन्हें यह न्यायिक जीत प्रतीत हुई।
पुलिस ने हालांकि कहा कि यह रिहाई आरोपों को निरस्त नहीं करती। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि “पर्याप्त साक्ष्य” हाथ में हैं और मामला आगे बढ़ाया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर पुनः गिरफ्तारी भी हो सकती है।
कंचनप्रीत को रिहा होने के बाद भी प्रत्याशी बनाए जाने के कदम ने तीखी आलोचना बटोरी। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से पंजाब में “गैंस्टर-सपोर्टेड राजनीति” को तवज्जो मिल रही है। एक प्रमुख विपक्षी प्रवक्ता ने चेतावनी दी कि ऐसे अपराधियों से जुड़े लोगों को चुनावी मैदान में आने देना लोकतांत्रिक मूल्यों व कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है।
साथ ही, यह मामला पहचान सत्यापन, पासपोर्ट वितरण व आप्रवासन नियंत्रण के सिस्टम में मौजूद जोखिमों पर भी ध्यान खींच रहा है। कई विशेषज्ञों ने कहा कि यह घटना प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही का मसला है — जिसे हल करना अब अति आवश्यक हो गया है।
यह विवाद उस उपचुनाव के बाद शुरू हुआ, जिसमें तरनतारन जिले में कई लोगों पर वोटरों को धमकाने और चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। इसी दौरान, कंचनप्रीत — जो पहले बहुत कम जानी-पहचानी थीं — अचानक सुर्खियों में आईं। अचानक उनकी पहचान, साथ ही उन पर लगे आरोप, इस बात का संकेत हैं कि पंजाब में कभी-कभी राजनीतिक रणनीति अपराधी नेटवर्क से जुड़ सकती है।
फर्जी पहचान, अवैध प्रवास और अपराधी सम्बन्धों जैसे आरोपों का यह जाल न सिर्फ कानून-व्यवस्था के लिए एक परीक्षा है, बल्कि चुनावी नैतिकता, प्रशासनिक जवाबदेही व संस्थानों की विश्वसनीयता पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
