लखनऊ: केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और सात बार लोकसभा सांसद पंकज चौधरी उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार के रूप में उभरकर सामने आए हैं। पार्टी कार्यालय, लखनऊ में नामांकन प्रक्रिया जारी है और संगठनात्मक हलकों में यह चर्चा तेज है कि नेतृत्व उनके नाम पर सहमति बना सकता है।
पूर्वांचल के महाराजगंज से आने वाले पंकज चौधरी को पार्टी के भीतर एक कैडर-आधारित नेता के रूप में जाना जाता है। वे कुर्मी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक प्रभावशाली पिछड़ा वर्ग माना जाता है। ऐसे समय में जब भाजपा सामाजिक संतुलन और संगठनात्मक मजबूती पर विशेष ध्यान दे रही है, चौधरी की संभावित नियुक्ति को रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
पंकज चौधरी का राजनीतिक सफर तीन दशक से अधिक पुराना है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत स्थानीय निकाय से की और धीरे-धीरे संगठन में मजबूत पकड़ बनाई। वर्ष 1991 में वे पहली बार लोकसभा पहुंचे और इसके बाद लगातार कई चुनावों में जीत दर्ज करते हुए सात बार सांसद चुने गए। उनकी यह निरंतरता उन्हें राज्य भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में शामिल करती है।
वर्तमान में वे केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। इस भूमिका में उन्होंने बजट संबंधी मामलों, वित्तीय समावेशन और केंद्र-राज्य समन्वय जैसे विषयों पर सक्रिय भागीदारी निभाई है। पार्टी के अंदर उन्हें एक ऐसा नेता माना जाता है जो संगठन और सरकार — दोनों की कार्यशैली को समझता है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, पंकज चौधरी को प्रदेश नेतृत्व के कई वरिष्ठ चेहरों का समर्थन प्राप्त है। उनका नाम ऐसे समय सामने आया है जब भाजपा 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले संगठन को नए सिरे से सक्रिय और अनुशासित करना चाहती है। प्रदेश अध्यक्ष का पद पार्टी के लिए न केवल संगठनात्मक बल्कि राजनीतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा द्वारा कुर्मी समुदाय से आने वाले नेता को आगे बढ़ाना ओबीसी मतदाताओं के बीच भरोसा मजबूत करने की दिशा में एक स्पष्ट संकेत है। हाल के चुनावों में गैर-यादव ओबीसी वर्ग को साधे रखना सभी प्रमुख दलों के लिए एक चुनौती रहा है।
एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक का कहना है,
“उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष सिर्फ संगठन का मुखिया नहीं होता, बल्कि वह सामाजिक संतुलन और चुनावी दिशा तय करने वाला चेहरा भी होता है। पंकज चौधरी जैसे अनुभवी नेता का चयन पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूती दे सकता है।”
हालांकि, प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में अन्य नामों पर भी शुरुआती स्तर पर विचार हुआ था। विभिन्न सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए पार्टी नेतृत्व ने कई विकल्पों पर मंथन किया। लेकिन संगठनात्मक अनुभव, चुनावी रिकॉर्ड और केंद्र में भूमिका के कारण पंकज चौधरी का नाम सबसे आगे माना जा रहा है।
यदि उन्हें औपचारिक रूप से प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है, तो यह भाजपा के लिए एक ऐसा निर्णय होगा जो पूर्वांचल, ओबीसी नेतृत्व और अनुभवी सांसदों — तीनों को एक साथ साधने की कोशिश के रूप में देखा जाएगा। यह कदम आगामी पंचायत चुनावों और विधानसभा चुनावों के लिए संगठन को तैयार करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
फिलहाल पार्टी की ओर से अंतिम घोषणा का इंतजार है। नामांकन प्रक्रिया पूरी होने और केंद्रीय नेतृत्व की स्वीकृति के बाद तस्वीर पूरी तरह साफ होने की संभावना है।
