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नेशनल कॉन्फ्रेंस सांसद ने अपनी ही सरकार पर उठाए सवाल

In National
September 12, 2025
RajneetiGuru.com - नेशनल कॉन्फ्रेंस सांसद ने अपनी ही सरकार पर उठाए सवाल - Ref by NDTV

पार्टी के भीतर असंतोष का एक बड़ा सार्वजनिक प्रदर्शन करते हुए, नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के वरिष्ठ नेता और श्रीनगर के सांसद, आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी ने जम्मू-कश्मीर में अपनी ही पार्टी की सरकार पर तीखा हमला बोला है, और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व पर अपने मुख्य चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है।

गुरुवार को अनंतनाग में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, पार्टी के एक प्रमुख और प्रभावशाली नेता श्री रुहुल्लाह ने आरोप लगाया कि नेकां नेतृत्व ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की गरिमा और संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ने के अपने जनादेश से समझौता किया है। उन्होंने कहा, “लोगों ने पार्टी को गरिमा के साथ लड़ने के लिए ‘भारी जनादेश’ दिया था, लेकिन इसके बजाय, नेतृत्व ने एक अलग रास्ता अपना लिया,” उन्होंने दावा किया कि इस बदलाव ने “लोगों को भिखारी बना दिया है।”

सांसद ने तर्क दिया कि पिछले साल केंद्रीय शासन की एक लंबी अवधि के बाद लोगों द्वारा एक लोकप्रिय सरकार चुनने के बावजूद, उनके मुद्दों का समाधान नहीं किया जा रहा है। मुख्यमंत्री की परोक्ष आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, “अगर सचिवालय में बैठा कोई यह मानता है कि लोग पार्टी के लिए वोट देने आए थे या लोग पार्टी के गुलाम हैं… नहीं। लोग एक अहंकारी और गैर-जवाबदेह व्यवस्था से तंग आ चुके थे, और वे एक जवाबदेह सरकार चाहते थे।”

अनुच्छेद 370 के बाद के दौर में मिला जनादेश यह सार्वजनिक आलोचना ऐतिहासिक 2024 के विधानसभा चुनावों के लगभग एक साल बाद आई है, जिसके बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सरकार बनाई थी – यह 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और राज्य के पुनर्गठन के बाद पहला चुनाव था। नेकां का चुनावी अभियान पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और जम्मू-कश्मीर की अनूठी पहचान की रक्षा के लिए लड़ने के केंद्रीय वादे पर बनाया गया था। श्री रुहुल्लाह की टिप्पणियां इस मूलभूत मुद्दे पर सरकार के दृष्टिकोण को लेकर पार्टी के एक गुट के भीतर बढ़ती अधीरता का सुझाव देती हैं।

श्री रुहुल्लाह और पार्टी नेतृत्व के बीच दरार के संकेत कुछ समय से दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में, उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद, उनके कार्यालय ने सार्वजनिक रूप से पोस्ट किया कि उन्हें पार्टी की ओर से उसके रुख के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली थी, हालांकि उन्होंने स्वतंत्र रूप से ‘इंडिया’ गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने का फैसला किया।

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अब तक इस आलोचना पर एक नपी-तुली प्रतिक्रिया दी है। नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने इस घटना को कमतर बताया। “नेकां एक लोकतांत्रिक पार्टी है जहाँ नेता अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि, इस तरह की चर्चाओं के लिए उपयुक्त मंच पार्टी संरचना के भीतर है। हमारी सरकार, उमर अब्दुल्ला साहब के नेतृत्व में, हमारे लोगों के कल्याण और अधिकारों के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।”

श्रीनगर में राजनीतिक विश्लेषक इसे सत्तारूढ़ दल के भीतर निहित वैचारिक तनाव की अभिव्यक्ति के रूप में देखते हैं, क्योंकि यह अनुच्छेद 370 के बाद के जम्मू-कश्मीर की जटिल राजनीतिक वास्तविकताओं से गुजर रहा है।

श्रीनगर स्थित एक राजनीतिक विश्लेषक डॉ. एजाज अशरफ कहते हैं, “आगा रुहुल्लाह की टिप्पणियां नेकां के मुख्य निर्वाचन क्षेत्र के एक हिस्से के बीच बढ़ती अधीरता को दर्शाती हैं। जबकि उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार संभवतः केंद्र के साथ जुड़ाव और बातचीत की एक व्यावहारिक, दीर्घकालिक रणनीति अपना रही है, रुहुल्लाह जैसे नेता जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक अधिकारों के अधिक टकरावपूर्ण और तत्काल दावे की मांग का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस नए युग में व्यावहारिकता और सिद्धांत के बीच यह आंतरिक तनाव नेकां के लिए प्राथमिक चुनौती है।”

जैसे ही सरकार अपने एक साल के कार्यकाल के करीब पहुंच रही है, एक वरिष्ठ सांसद की इस सार्वजनिक फटकार ने सत्तारूढ़ दल के भीतर पहली महत्वपूर्ण दरार को उजागर कर दिया है। नेकां नेतृत्व इस असंतोष को कैसे संबोधित करता है और शासन की मांगों को अपने मतदाताओं की उच्च-दांव वाली राजनीतिक आकांक्षाओं के साथ कैसे संतुलित करता है, यह उसकी स्थिरता और सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगा।

Author

  • Anup Shukla

    अनूप शुक्ला पिछले तीन वर्षों से समाचार लेखन और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे मुख्य रूप से समसामयिक घटनाओं, स्थानीय मुद्दों और जनता से जुड़ी खबरों पर गहराई से लिखते हैं। उनकी लेखन शैली सरल, तथ्यपरक और पाठकों से जुड़ाव बनाने वाली है। अनूप का मानना है कि समाचार केवल सूचना नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक सोच और जागरूकता फैलाने का माध्यम है। यही वजह है कि वे हर विषय को निष्पक्ष दृष्टिकोण से समझते हैं और सटीक तथ्यों के साथ प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन, शिक्षा, रोजगार, पर्यावरण और जनसमस्याओं जैसे कई विषयों पर प्रकाश डाला है। उनके लेख न सिर्फ घटनाओं की जानकारी देते हैं, बल्कि उन पर विचार और समाधान की दिशा भी सुझाते हैं। राजनीतिगुरु में अनूप शुक्ला की भूमिका है — स्थानीय और क्षेत्रीय समाचारों का विश्लेषण, ताज़ा घटनाओं पर रचनात्मक रिपोर्टिंग, जनसरोकार से जुड़े विषयों पर लेखन, रुचियाँ: लेखन, यात्रा, फोटोग्राफी और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा।

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अनूप शुक्ला पिछले तीन वर्षों से समाचार लेखन और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे मुख्य रूप से समसामयिक घटनाओं, स्थानीय मुद्दों और जनता से जुड़ी खबरों पर गहराई से लिखते हैं। उनकी लेखन शैली सरल, तथ्यपरक और पाठकों से जुड़ाव बनाने वाली है। अनूप का मानना है कि समाचार केवल सूचना नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक सोच और जागरूकता फैलाने का माध्यम है। यही वजह है कि वे हर विषय को निष्पक्ष दृष्टिकोण से समझते हैं और सटीक तथ्यों के साथ प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन, शिक्षा, रोजगार, पर्यावरण और जनसमस्याओं जैसे कई विषयों पर प्रकाश डाला है। उनके लेख न सिर्फ घटनाओं की जानकारी देते हैं, बल्कि उन पर विचार और समाधान की दिशा भी सुझाते हैं। राजनीतिगुरु में अनूप शुक्ला की भूमिका है — स्थानीय और क्षेत्रीय समाचारों का विश्लेषण, ताज़ा घटनाओं पर रचनात्मक रिपोर्टिंग, जनसरोकार से जुड़े विषयों पर लेखन, रुचियाँ: लेखन, यात्रा, फोटोग्राफी और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा।

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