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निशांत कुमार की राजनीतिक शुरुआत की बढ़ रही माँग

In Politics
September 07, 2025
rajneetiguru.com - निशांत कुमार की राजनीतिक शुरुआत की बढ़ रही माँग। Image Credit – The Indian Express

बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही जनता दल (यूनाइटेड) में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुत्र निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री की माँग जोर पकड़ रही है। पार्टी के भीतर एक बड़ा धड़ा मानता है कि उनके आने से कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा मिलेगी और युवाओं के बीच पार्टी की पकड़ मजबूत होगी।

पटना और नालंदा में लगे पोस्टरों से यह संकेत मिला है कि निशांत को मैदान में उतारने की इच्छा व्यापक होती जा रही है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “मुख्यमंत्री ने अपनी पूरी जिंदगी राजनीति को दी है। निशांत का आना यह संदेश देगा कि पार्टी का भविष्य सुरक्षित है।”

पिछले कुछ हफ्तों में कई सांसद और विधायक निशांत को चुनाव लड़ाने की पैरवी कर चुके हैं। इस्लामपुर सीट से उनके नाम की चर्चा सबसे अधिक है, जो JD(U) का परंपरागत गढ़ माना जाता है। पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि निशांत के उतरने से ओबीसी, कुर्मी और कुशवाहा मतदाताओं को फिर से जोड़ा जा सकेगा।

हालाँकि, नीतीश कुमार का वंशवाद विरोधी रुख अब भी रोड़ा बना हुआ है। वे लंबे समय से परिवार आधारित राजनीति की आलोचना करते रहे हैं और अब तक उन्होंने संकेत नहीं दिया है कि निशांत को चुनाव लड़ाया जाएगा।

राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने हाल में कहा कि निशांत के राजनीति में न आने से JD(U) को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। उनके इस बयान ने पार्टी के भीतर बहस को और तेज कर दिया।

2020 के बाद JD(U) का प्रदर्शन कमजोर हुआ है और मुख्यमंत्री की सेहत को लेकर भी चिंताएँ बढ़ी हैं। ऐसे में पार्टी के भीतर एक धड़ा मानता है कि उत्तराधिकारी को सामने लाना जरूरी है। हालांकि, कुछ नेताओं को आशंका है कि निशांत को आगे लाना पार्टी की वंशवाद-विरोधी पहचान को कमजोर कर सकता है। एक MLC ने सवाल किया, “अगर निशांत को उत्तराधिकारी बनाया गया, तो हम परिवारवाद के खिलाफ अपनी नैतिक बढ़त कैसे बनाए रखेंगे?”

पटना में लगे पोस्टरों पर “कार्यकर्ताओं की मांग, चुनाव लड़ें निशांत” जैसे नारे लिखे गए हैं। इसे कार्यकर्ताओं की भावनाओं का इशारा माना जा रहा है।

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने स्पष्ट किया कि निशांत की एंट्री का फैसला पूरी तरह मुख्यमंत्री और उनके परिवार का होगा। उन्होंने कहा, “यह किसी दूसरे दल का विषय नहीं है। निर्णय नीतीश कुमार स्वयं करेंगे।”

जनता दल (यू) की स्थापना 2003 में हुई थी और तब से नीतीश कुमार इसके प्रमुख चेहरे रहे हैं। उन्होंने लंबे समय तक बिहार की राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ अपनी छवि बनाई। दूसरी ओर, लालू प्रसाद यादव का राजद परिवार आधारित राजनीति से जुड़ा रहा है।

इसी विरोधाभास को JD(U) ने चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। लेकिन बदलते हालात और घटते जनाधार को देखते हुए अब पार्टी के भीतर निशांत को आगे लाने पर दबाव बढ़ रहा है।

राजनीतिक विश्लेषक पुष्पेंद्र कुमार का कहना है, “करिश्माई नेता के इर्द-गिर्द बने दल अक्सर उत्तराधिकार को लेकर संकट में फंसते हैं। अगर स्पष्ट योजना न हो, तो पार्टी टूटने का खतरा रहता है। निशांत को आगे लाना स्थिरता ला सकता है।”

चुनाव सिर पर हैं और अब सबकी निगाह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले पर है। निशांत कुमार मैदान में उतरते हैं या नहीं, यह आने वाले चुनाव ही नहीं बल्कि JD(U) की राजनीतिक पहचान का भविष्य भी तय करेगा।

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