कोयला कारोबार और राजनीति के टकराव ने फिर गरमाया माहौल
पुराने जख्म ताज़ा
धनबाद: झारखंड की राजनीति और कोयला बेल्ट की सियासत एक बार फिर सुर्खियों में है। 2017 में धनबाद के डिप्टी मेयर और कांग्रेस नेता नीरज सिंह की हत्या मामले में पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह की बरी होने की खबर ने पुराने विवादों और दुश्मनियों को फिर से जिंदा कर दिया है।
हत्या से लेकर मुकदमे तक
नीरज सिंह की हत्या उस समय हुई थी जब धनबाद का कोयला कारोबार और राजनीतिक रस्साकशी चरम पर थी। पुलिस ने इस वारदात में उनके चचेरे भाई और तत्कालीन भाजपा विधायक संजीव सिंह को आरोपी बनाया था। लंबे मुकदमे के बाद अब अदालत ने उन्हें बरी कर दिया है।
राजनीतिक तापमान बढ़ा
संजीव सिंह की बरी होने से स्थानीय राजनीति में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। कांग्रेस और विपक्षी दलों का कहना है कि यह मामला केवल एक हत्या नहीं बल्कि सत्ता और कोयले के कारोबार की गहरी लड़ाई का हिस्सा रहा है। वहीं भाजपा समर्थक इसे न्याय की जीत बता रहे हैं।
कारोबार और सियासत का टकराव
धनबाद की कोयला बेल्ट हमेशा से राजनीतिक और कारोबारी खींचतान का गढ़ रही है। नेताओं और कारोबारियों के बीच वर्चस्व की जंग कई बार खूनी संघर्ष में बदल चुकी है। इस केस ने एक बार फिर उस अंधेरे सच को सामने ला दिया है।
निष्कर्ष
धनबाद हत्याकांड में पूर्व विधायक की बरी होने से इलाके की सियासत में नई हलचल मच गई है। यह मामला बताता है कि झारखंड की राजनीति और कोयला कारोबार अब भी पुराने विवादों और नई दरारों से जूझ रहे हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा चुनावी राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है।