दिल्ली के मुद्दों और नेताओं की दखलअंदाजी से पंजाब आप पार्टी में असंतोष गहराता जा रहा है। कई मंत्री और नेता ‘पावर शिफ्ट’ पर सवाल उठा रहे हैं।
घटना की पृष्ठभूमि
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जुड़े विवाद और दिल्ली की राजनीति में लगातार उठते आरोपों का असर अब पंजाब इकाई पर साफ़ दिखने लगा है। विपक्ष पहले ही पंजाब आप पर ‘दिल्ली से रिमोट कंट्रोल’ होने का आरोप लगाता रहा है। अब पार्टी के भीतर से भी आवाज़ें उठ रही हैं।
पंजाब इकाई में असंतोष
पंजाब आप के कई मंत्री और वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि महत्वपूर्ण फैसलों में दिल्ली नेतृत्व का दबदबा बढ़ रहा है। उनका कहना है कि प्रदेश के मसलों को लेकर स्थानीय नेतृत्व को पर्याप्त स्वतंत्रता नहीं मिल रही। यह स्थिति कई बार कैबिनेट मीटिंग्स में भी टकराव का कारण बनी।
राजनीतिक उबाल
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर दिल्ली और पंजाब इकाई के बीच यह मतभेद गहराते गए तो पार्टी की छवि को नुकसान हो सकता है। विपक्षी दल इसे पहले ही मुद्दा बना रहे हैं और आम जनता के बीच यह संदेश दे रहे हैं कि पंजाब सरकार दिल्ली के इशारों पर चल रही है।
दिल्ली नेतृत्व का पक्ष
दिल्ली आप के नेताओं का कहना है कि पार्टी पूरी तरह एकजुट है और जो भी निर्णय होते हैं, वे सामूहिक रूप से लिए जाते हैं। उनका दावा है कि विपक्ष अनावश्यक भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है।
निष्कर्ष
दिल्ली और पंजाब इकाई के बीच उठते सवाल अब आप पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं। यदि मतभेद समय रहते दूर नहीं किए गए तो यह न केवल पार्टी की एकता पर असर डालेगा, बल्कि आने वाले चुनावी समीकरणों को भी बदल सकता है।