
पंजाब की तरणतारण विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को उपचुनाव होने जा रहा है, जो राज्य की राजनीति में नए समीकरण बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है। यह सीट आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक कश्मीर सिंह सोहल के निधन के बाद खाली हुई थी। उनके निधन के बाद यह सीट सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गई है।
चुनाव आयोग ने तारीख़ों की घोषणा के साथ ही आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू कर दी है। राजनीतिक दलों ने तुरंत अपनी तैयारियां तेज़ कर दी हैं और अब यह मुकाबला चार प्रमुख दलों — आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल (SAD) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) — के बीच दिलचस्प मोड़ लेने वाला है।
तरणतारण पंजाब के माज्हा क्षेत्र का एक संवेदनशील और राजनीतिक रूप से सक्रिय इलाका है। यहाँ सिख बहुल जनसंख्या और ग्रामीण मुद्दे हमेशा चुनावी विमर्श के केंद्र में रहते हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में AAP ने इस सीट पर शानदार जीत दर्ज की थी, लेकिन अब पार्टी के लिए यह उपचुनाव अपनी पकड़ बरकरार रखने की परीक्षा साबित होगा।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह उपचुनाव 2027 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनावों की दिशा तय कर सकता है। ग्रामीण इलाकों की नाराज़गी, बेरोज़गारी, बाढ़ से जुड़ी समस्याएँ और सीमा क्षेत्र के विकास जैसे मुद्दे मतदाताओं के रुख को प्रभावित कर सकते हैं।
AAP इस सीट पर अपना दबदबा बनाए रखने की कोशिश में है। पार्टी ने ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतारा है जो स्थानीय स्तर पर मज़बूत संगठन और विकास से जुड़े मुद्दों को उठाने की क्षमता रखता है। मुख्यमंत्री भगवंत मान स्वयं चुनाव प्रचार में उतर सकते हैं ताकि कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भर सकें।
कांग्रेस इस चुनाव को अपने पुनरुत्थान का अवसर मान रही है। पार्टी का फोकस युवाओं और किसानों को जोड़ने पर है। कांग्रेस अपने उम्मीदवार को स्थानीय चेहरा बताकर मतदाताओं में विश्वास जगाने की कोशिश कर रही है।
शिरोमणि अकाली दल (SAD) पारंपरिक सिख वोट बैंक को साधने की रणनीति पर काम कर रहा है। पार्टी ने ऐसा उम्मीदवार चुना है जो धार्मिक संस्थानों और ग्रामीण नेतृत्व से गहरे संबंध रखता है। अकाली दल इस चुनाव को अपनी खोई जमीन वापस पाने का मौका मान रहा है।
वहीं, भाजपा तरणतारण में नए आधार की तलाश में है। पार्टी ने संगठनात्मक ढांचे को मज़बूत करते हुए सीमावर्ती इलाकों में प्रचार पर जोर दिया है। केंद्र सरकार की योजनाओं और विकास कार्यों को पार्टी अपने प्रमुख मुद्दों के रूप में पेश कर रही है।
इसके अलावा, कुछ स्वतंत्र और क्षेत्रीय उम्मीदवार भी मैदान में उतर सकते हैं, जिससे यह उपचुनाव और भी बहु-कोणीय हो जाएगा।
इस उपचुनाव में प्रमुख मुद्दे बाढ़ प्रबंधन, किसानों की समस्याएँ, बेरोज़गारी और स्थानीय विकास से जुड़े हैं। कई ग्रामीण इलाकों में जलजमाव और सड़कों की खराब स्थिति अब भी चिंता का विषय बनी हुई है। मतदाता इस बार ऐसे नेता को चुनना चाहते हैं जो सिर्फ़ वादे न करे, बल्कि ज़मीनी स्तर पर काम कर दिखाए।
दूसरी ओर, सीमावर्ती जिले होने के कारण सुरक्षा और तस्करी के मुद्दे भी चुनावी चर्चाओं में शामिल हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि स्थानीय स्तर पर धार्मिक और सामाजिक संतुलन भी निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
चुनाव आयोग के अनुसार, नामांकन प्रक्रिया अक्टूबर के तीसरे सप्ताह तक चलेगी और 11 नवंबर को मतदान होगा। मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। अनुमान है कि इस सीट पर करीब दो लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
तरणतारण में हमेशा से मतदाताओं का रुझान प्रत्याशी की छवि और स्थानीय जुड़ाव पर निर्भर करता है। इस बार भी वही कारक निर्णायक रहेंगे। बहु-कोणीय मुकाबले की वजह से वोट विभाजन की संभावना है, जिससे किसी एक पार्टी के लिए पूर्ण बहुमत हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
तरणतारण उपचुनाव पंजाब की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक साबित होगा। यह तय करेगा कि आम आदमी पार्टी राज्य में अपनी पकड़ बरकरार रखती है या विपक्षी दल वापसी की राह पर हैं।
आने वाले हफ्तों में प्रचार अभियान तेज़ होने की उम्मीद है। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी केंद्रों तक मतदाता इस बार अपने नेताओं से ठोस योजनाएँ और ईमानदार नेतृत्व की उम्मीद कर रहे हैं।
11 नवंबर का मतदान न सिर्फ़ तरणतारण बल्कि पूरे पंजाब की राजनीतिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।