तमिलनाडु की राजनीति में हाल ही में अभिनेता से नेता बने विजय पर एक कार्यक्रम में मची भगदड़ के बाद दबाव बढ़ गया है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य में अपने लिए संभावनाएँ तलाशती दिख रही है, खासकर तब जब उसका पूर्व सहयोगी अन्नाद्रमुक (AIADMK) आंतरिक संकट और कमजोर संगठन के कारण राजनीतिक रूप से पिछड़ता नज़र आ रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने विजय से अनौपचारिक स्तर पर संपर्क साधने के संकेत दिए हैं। विजय ने हाल ही में राजनीति में कदम रखते हुए “स्वच्छ राजनीति” और युवाओं के नेतृत्व पर बल दिया था। हालांकि, भगदड़ की घटना, जिसमें कई लोगों की जान गई, ने उनके संगठनात्मक ढांचे और भीड़ प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आलोचकों का कहना है कि ऐसे हादसे जनता के भरोसे को कमज़ोर कर सकते हैं, जबकि समर्थकों का मानना है कि विजय अब भी पारंपरिक द्रविड़ दलों का सशक्त विकल्प बने हुए हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा की दिलचस्पी विजय में इसलिए भी है क्योंकि अन्नाद्रमुक अब पहले जैसी ताक़तवर नहीं रह गई है। जयललिता के निधन और गुटबाज़ी के चलते पार्टी कमजोर हुई है। वहीं, सत्ताधारी द्रमुक (DMK) ने अपना संगठन मज़बूत कर लिया है। ऐसे में तीसरे मोर्चे की संभावना बढ़ी है, जिसे भाजपा भुनाना चाहती है।
राजनीतिक विश्लेषक आर. वेंकटेशन ने कहा, “भाजपा जानती है कि वह अभी द्रमुक को अकेले चुनौती नहीं दे सकती। विजय जैसे लोकप्रिय चेहरे से संपर्क करके वह जन समर्थन और चुनावी गणित के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है।”
बीते कुछ वर्षों में भाजपा ने तमिलनाडु में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगातार यात्राएँ, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर ज़ोर और बूथ स्तर तक संगठन विस्तार उसके गंभीर प्रयासों को दर्शाते हैं। बावजूद इसके, चुनावी सफलता अब तक सीमित रही है क्योंकि राज्य में द्रविड़ राजनीति का वर्चस्व कायम है।
विजय और भाजपा के बीच संभावित तालमेल राजनीतिक समीकरण बदल सकता है, लेकिन इसमें जोखिम भी हैं। विजय के समर्थक युवाओं और शहरी मतदाताओं में मज़बूत हैं, लेकिन उनका आधार भाजपा की विचारधारा से पूरी तरह मेल खाएगा या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। साथ ही, भाजपा के साथ निकटता उनके विरोधियों को यह कहने का मौका भी दे सकती है कि विजय स्वतंत्र राजनीति नहीं कर पा रहे।
भाजपा नेताओं का मानना है कि बदलाव की गुंजाइश मौजूद है। एक भाजपा पदाधिकारी ने कहा, “तमिलनाडु बदल रहा है। युवा ऐसी राजनीति चाहते हैं जो उनकी आकांक्षाओं को दर्शाए। विजय का राजनीति में आना इसी बदलाव का प्रतीक है और हम ऐसे किसी भी लोकतांत्रिक सहयोग के लिए तैयार हैं, जो सुशासन और स्थिरता को मज़बूत करे।”
जैसे-जैसे चुनावी माहौल तेज़ होगा, विजय और भाजपा के बीच की संभावित नज़दीकियाँ राजनीतिक चर्चाओं का अहम हिस्सा बनेंगी। यह गठबंधन औपचारिक रूप ले या केवल अनौपचारिक समझ तक सीमित रहे, फिलहाल इसने तमिलनाडु की राजनीति में एक नया आयाम जोड़ दिया है।
