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टीसीएस भारत की चिप महत्वाकांक्षा के लिए चिपलेट तकनीक को आगे बढ़ा रही है

In National
September 11, 2025
RajneetiGuru.com - टीसीएस भारत की चिप महत्वाकांक्षा के लिए चिपलेट तकनीक को आगे बढ़ा रही है - Ref by FreePressJournal

भारत के महत्वाकांक्षी सेमीकंडक्टर मिशन के साथ कदम मिलाते हुए, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने चिपलेट-आधारित सिस्टम इंजीनियरिंग सेवाओं की शुरुआत की है। इस कदम का उद्देश्य सेमीकंडक्टर कंपनियों को मॉड्यूलर चिपलेट तकनीक का उपयोग करके अगली पीढ़ी के चिप्स को डिजाइन करने में सक्षम बनाना है। यह घोषणा एक ऐसे समय में हुई है जब भारत 76,000 करोड़ रुपये के इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को तेजी से आगे बढ़ा रहा है।

चिपलेट, पारंपरिक चिप डिजाइन की सीमाओं को पार करने का एक क्रांतिकारी तरीका है। पारंपरिक रूप से, पूरे चिप को एक ही सिलिकॉन पर बनाया जाता था। लेकिन अब, चिपलेट तकनीक छोटे, विशेषीकृत चिप्स (जिन्हें ‘चिपलेट’ कहा जाता है) को एक साथ जोड़कर अधिक शक्तिशाली और कुशल प्रोसेसर बनाती है। यह दृष्टिकोण न केवल उत्पादन को तेज करता है बल्कि लागत दक्षता भी बढ़ाता है क्योंकि यह पहले से परीक्षण किए गए छोटे घटकों को जोड़ता है। यह विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्लाउड कंप्यूटिंग और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे क्षेत्रों में उच्च-प्रदर्शन वाले सेमीकंडक्टरों की बढ़ती वैश्विक मांग को संबोधित करता है।

पृष्ठभूमि: भारत का सेमीकंडक्टर मिशन

भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। 2024-2025 में 45-50 बिलियन डॉलर के मूल्य वाले इस बाजार के 2030 तक 100-110 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इस वृद्धि का एक प्रमुख कारण सरकार का ISM के तहत भारी निवेश है। इस मिशन का लक्ष्य भारत को डिजाइन, विनिर्माण और पैकेजिंग सहित पूरे सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित करना है। भारत के पास पहले से ही एक मजबूत आधार है, जिसमें दुनिया के लगभग 20% चिप डिजाइन इंजीनियर मौजूद हैं, जो देश को डिजाइन-नेतृत्व वाले नवाचार के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है।

हाल ही में आयोजित सेमीकॉन इंडिया 2025 में, सरकार ने घरेलू सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए कई प्रमुख पहलों की रूपरेखा तैयार की। इनमें चिप विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन, सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन इकाइयों की स्थापना और अनुसंधान व उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए वैश्विक फर्मों के साथ साझेदारी शामिल है। एक उल्लेखनीय घोषणा IBM के साथ साझेदारी थी, जिसके तहत उन्नत पैकेजिंग और हेटेरोजीनियस इंटीग्रेशन (चिपलेट तकनीक के लिए महत्वपूर्ण) पर केंद्रित एक सेमीकंडक्टर अनुसंधान केंद्र स्थापित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, सरकार ने गुजरात में ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प के साथ मिलकर 2026 तक एक फैब्रिकेशन प्लांट शुरू करने और असम में एक असेंबली और परीक्षण सुविधा स्थापित करने की योजना पर भी प्रकाश डाला।

TCS की भूमिका और विशेषज्ञों की राय

TCS की नई सेवाएं, जिसमें यूनिवर्सल चिपलेट इंटरकनेक्ट एक्सप्रेस (UCIe) और हाई बैंडविड्थ मेमोरी (HBM) जैसे उद्योग मानकों का डिजाइन और सत्यापन, और उन्नत पैकेजिंग समाधान शामिल हैं, ऐसे समय में आए हैं जब ये सरकारी प्रयास गति पकड़ रहे हैं। सेमीकंडक्टर क्षेत्र में दो दशकों से अधिक के अनुभव के साथ, TCS ने AI प्रोसेसर के लिए हेटेरोजीनियस चिप इंटीग्रेशन को सुव्यवस्थित करने के लिए एक उत्तरी अमेरिकी फर्म के साथ भी सहयोग किया है।

इस कदम पर बोलते हुए, वी. राजन्ना, अध्यक्ष, प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर और सेवा, TCS ने कहा, “TCS चिपलेट-आधारित सिस्टम इंजीनियरिंग सेवाएं सेमीकंडक्टर उद्यमों को चिपलेट टेपआउट में तेजी लाने में मदद करेंगी, जिससे लचीलापन, मापनीयता और बाजार तक पहुंचने का तेज समय मिलेगा। अगली पीढ़ी की तकनीकों में हमारा व्यापक निवेश, सेमीकंडक्टर उद्योग का प्रासंगिक ज्ञान, और निष्पादन में मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड हमें बड़े पैमाने पर नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक पसंदीदा भागीदार बनाता है।”

आगे की चुनौतियाँ और अवसर

हालांकि TCS का यह कदम भारत के सेमीकंडक्टर परिदृश्य के लिए एक महत्वपूर्ण सकारात्मक संकेत है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी बनी हुई हैं। भारत को अभी भी अपने विनिर्माण संयंत्रों के लिए महत्वपूर्ण उपकरणों, कच्चे माल और अल्ट्रा-शुद्ध जल जैसी बुनियादी सुविधाओं पर काम करना है। इसके अतिरिक्त, आपूर्ति श्रृंखला को स्थानीय बनाने और कुशल कार्यबल की कमी को पूरा करने के लिए भी महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 2030 तक एक मिलियन अतिरिक्त कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होगी।

हालांकि, भारत की मजबूत डिजाइन क्षमताओं और विशाल घरेलू बाजार को देखते हुए अवसर बहुत बड़े हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) के अनुसार, सरकार ने DLI (डिजाइन-लिंक्ड इंसेंटिव) योजना के तहत 23 चिप-डिजाइन परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिसमें स्थानीय स्टार्टअप्स और MSMEs को स्वदेशी चिप्स विकसित करने के लिए सहायता प्रदान की गई है। इसके अलावा, जापान की फुजिफिल्म इलेक्ट्रॉनिक मैटेरियल्स और अमेरिका की माइक्रोन जैसी वैश्विक फर्में भारत में निवेश करने के लिए उत्सुकता दिखा रही हैं, जो देश के बढ़ते पारिस्थितिकी तंत्र में उनके विश्वास को दर्शाता है।

TCS की चिपलेट सेवाओं की शुरुआत भारत को वैश्विक चिप मूल्य श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है बल्कि वैश्विक नवाचार के लिए एक केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को भी मजबूत करता है।

Author

  • Anup Shukla

    निष्पक्ष विश्लेषण, समय पर अपडेट्स और समाधान-मुखी दृष्टिकोण के साथ राजनीति व समाज से जुड़े मुद्दों पर सारगर्भित और प्रेरणादायी विचार प्रस्तुत करता हूँ।

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