तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (Special Inclusion Revision – SIR) को लेकर निर्वाचन आयोग की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। पार्टी का कहना है कि यदि संशोधन के दौरान एक भी “वास्तविक योग्य मतदाता” का नाम सूची से हटाया गया, तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने रविवार को कहा कि पार्टी को चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर आपत्ति नहीं है, लेकिन जिस तरीके से यह प्रक्रिया लागू की जा रही है, उसमें पारदर्शिता और सटीकता की कमी है। उन्होंने दावा किया कि कई क्षेत्रों में मतदाताओं के नाम बिना सत्यापन के हटाए जा रहे हैं, जिससे वास्तविक मतदाताओं के मतदान अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।
गोखले ने कहा, “मतदाता सूची का कोई भी पुनरीक्षण पूरी तरह निर्वाचन आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। हम SIR का विरोध नहीं कर रहे, हम उस पद्धति पर सवाल उठा रहे हैं जिसके आधार पर नाम हटाए जा रहे हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी कार्यकर्ताओं को कई इलाकों से शिकायतें मिली हैं कि मतदाता सूची अपडेट करने वाले कर्मचारी घर-घर सत्यापन किए बिना ही फॉर्म भर रहे हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोगों के नाम हटने की आशंका बढ़ जाती है।
पृष्ठभूमि: क्यों बढ़ रहा है विवाद?
पश्चिम बंगाल में हाल के वर्षों में मतदाता सूची को लेकर राजनीतिक दलों के बीच तकरार बढ़ी है। विभिन्न पार्टियां बार-बार आरोप लगाती रही हैं कि मतदाता सूची में त्रुटियाँ चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती हैं। इसी संदर्भ में SIR की वर्तमान प्रक्रिया को लेकर टीएमसी और विपक्ष दोनों अपनी-अपनी चिंताएँ जाहिर कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल प्रक्रियाओं और फील्ड-वेरिफिकेशन के मिश्रण में यदि किसी भी स्तर पर चूक होती है, तो इससे मतदाताओं के अधिकार प्रभावित होते हैं। एक वरिष्ठ चुनाव विश्लेषक, नाम न छापने की शर्त पर, बताते हैं:
“मतदाता सूची का संशोधन तकनीकी रूप से सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन भारत जैसे बड़े राज्यों में मामूली त्रुटि भी हजारों नामों को प्रभावित कर सकती है। मुख्य चुनौती यह सुनिश्चित करने की है कि हर कार्रवाई सटीक और समयबद्ध हो।”
टीएमसी की मुख्य चिंताएँ
टीएमसी नेताओं के अनुसार—
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कई क्षेत्रों में वास्तविक मतदाताओं को ‘शिफ्टेड’ या ‘अनट्रेस्ड’ चिह्नित किया गया है।
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बड़ी संख्या में शिकायतें आई हैं कि मतदाता सूची अद्यतन टीम ने घर-घर जाकर भौतिक सत्यापन नहीं किया।
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बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs) के पास अत्यधिक कार्यभार है, जिससे प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
टीएमसी का कहना है कि यदि इस प्रक्रिया में खामियां रहती हैं, तो लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन होगा। पार्टी ने यह भी कहा कि वह निर्वाचन आयोग से मिलने वाली शिकायतों के निपटारे के बाद आगे की रणनीति तय करेगी।
निर्वाचन आयोग की प्रतिक्रिया
हालांकि निर्वाचन आयोग ने इस विवाद पर सीधे टिप्पणी नहीं की है, लेकिन आयोग के सूत्रों के अनुसार SIR एक नियमित प्रक्रिया है और इसे पारदर्शी तरीके से लागू किया जा रहा है। अधिकारियों ने संकेत दिया है कि सभी शिकायतों का विधिक प्रावधानों के अनुसार समाधान किया जाएगा।
अगले कदम
राज्य में राजनीतिक माहौल गर्म होने के साथ, टीएमसी ने सभी जिलों में पार्टी टीमों को मतदाता सूची की निगरानी के निर्देश दिए हैं। पार्टी का कहना है कि वह हर मामले में तथ्य जुटाएगी और आयोग के समक्ष प्रस्तुत करेगी।
जैसे-जैसे मतदाता सूची में संशोधन आगे बढ़ेगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या राजनीतिक दलों की चिंताओं का समाधान किया जाता है या यह मुद्दा चुनावी राजनीति में और तनाव पैदा करेगा।
