गोड्डा के पूर्व प्रत्याशी सूर्य हांसदा की मौत ने उठाए सवाल, पुलिस की अलग-अलग कहानी, परिजनों ने ठहराया ‘साज़िश’
रांची, 15 अगस्त: झारखंड के गोड्डा ज़िले में हुए कथित एनकाउंटर ने पुलिस को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। जिस आदिवासी क्षेत्र में लोग आज भी दिवंगत नेता सूर्य हांसदा को याद करते हैं, वहीं उनकी मौत ने गहरी नाराज़गी और दुख को जन्म दिया है। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें “ठंडे दिमाग से मार गिराया”, जबकि पुलिस की आधिकारिक कहानी पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
सूर्य हांसदा का राजनीतिक सफ़र
सूर्य हांसदा ने कई बार विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन लगातार हार का सामना किया। बावजूद इसके, स्थानीय स्तर पर उनकी लोकप्रियता बनी रही क्योंकि उन्होंने अपने गांव में पहला स्कूल बनवाया था। उनके समर्थक मानते हैं कि वे शिक्षा और अधिकारों की आवाज़ बुलंद करने वाले नेता थे।
आरोपों का लंबा सिलसिला
हांसदा पर गोड्डा और आसपास के ज़िलों में लगभग 25 आपराधिक मामले दर्ज थे। पुलिस का दावा है कि वे कई गंभीर वारदातों में शामिल थे और मुठभेड़ के दौरान मारे गए। लेकिन ग्रामीणों और परिवार का कहना है कि यह सब “फर्ज़ी कहानी” है और असलियत को छुपाया जा रहा है।
पुलिस की कहानी बनाम परिजनों का बयान
पुलिस के मुताबिक, मुठभेड़ के दौरान हांसदा ने गोली चलाई, जवाबी कार्रवाई में वे ढेर हो गए। लेकिन गवाहों और परिवार का कहना है कि पुलिस उन्हें पहले से हिरासत में लेकर बैठी थी और फिर सोची-समझी योजना के तहत उनकी हत्या कर दी गई।
निष्कर्ष
सूर्य हांसदा की मौत ने झारखंड की राजनीति और प्रशासन दोनों पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर पुलिस इसे सफल एनकाउंटर बता रही है, तो दूसरी ओर गांव का माहौल शोक और आक्रोश से भरा है। अब देखना होगा कि इस विवाद का अंत न्याय की ओर जाता है या फिर यह भी बीते दिनों की एक और “राजनीतिक कहानी” बनकर रह जाएगा।