हरियाणा की राजनीति में इन दिनों जन्नायक जनता पार्टी (जेपीपी) का असर लगातार घटता दिखाई दे रहा है। इस बदलते समीकरण के बीच भारतीय राष्ट्रीय लोकदल (आईएनएलडी) के नेता अभय सिंह चौटाला अपनी पार्टी को फिर से मजबूत करने की कोशिश में जुट गए हैं। इसी कड़ी में वह 25 सितंबर को रोहतक में एक बड़ी रैली आयोजित करने जा रहे हैं। यह रैली चौधरी देवी लाल की जयंती के मौके पर होगी और इसे आईएनएलडी “सम्मान दिवस” के रूप में मनाएगी।
आईएनएलडी कभी राज्य की राजनीति की एक प्रमुख ताकत रही थी। ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व में पार्टी ने लंबे समय तक सत्ता में भी भागीदारी की। लेकिन 2018 में दुष्यंत चौटाला द्वारा जेजेपी की स्थापना ने जाट वोट बैंक को दो हिस्सों में बांट दिया और आईएनएलडी की पकड़ कमजोर हो गई। 2024 के विधानसभा चुनावों में दोनों ही दलों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और पार्टी को अपने अस्तित्व को बचाने की चुनौती का सामना करना पड़ा। वहीं, दिसंबर 2024 में ओम प्रकाश चौटाला के निधन के बाद आईएनएलडी एक नेतृत्व शून्य में फंस गई।
अभय चौटाला अब इस खालीपन को भरने और संगठन को नई ऊर्जा देने की कोशिश में हैं। उनका दावा है कि रोहतक की यह रैली अभूतपूर्व होगी और इसमें जुटी भीड़ यह साबित कर देगी कि हरियाणा की राजनीति में आईएनएलडी अभी भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा है कि बड़ी संख्या में पुराने कार्यकर्ता पार्टी में वापस आ रहे हैं और जनता का भरोसा दोबारा बढ़ रहा है। अभय का मानना है कि जेपीपी अब लगभग अप्रासंगिक हो चुकी है और जाट समाज फिर से आईएनएलडी के पीछे एकजुट हो रहा है।
रैली में विभिन्न राज्यों और दलों के नेताओं के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है, जिससे इस आयोजन का महत्व और बढ़ जाएगा। पार्टी की रणनीति साफ है—इस मौके को केवल श्रद्धांजलि कार्यक्रम न बनाकर उसे राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन में बदलना। मंच से राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना किए जाने की भी संभावना है। बेरोज़गारी, किसानों की समस्याएं और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे लंबे समय से विपक्ष के निशाने पर हैं और यह रैली उन्हें और अधिक जोरदार ढंग से उठाने का मंच बन सकती है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह आयोजन केवल भीड़ जुटाने की कवायद नहीं है, बल्कि अभय चौटाला के नेतृत्व की परीक्षा भी है। जाट बहुल इलाकों में पकड़ मजबूत करना, कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना और जनता का विश्वास जीतना उनके सामने बड़ी चुनौतियां हैं। यदि रैली में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं, तो यह आने वाले चुनावों के लिए आईएनएलडी को नई दिशा दे सकती है और उसे जेपीपी की कमजोरी से पैदा हुए राजनीतिक खालीपन को भरने का मौका मिल सकता है।
अब सबकी निगाहें 25 सितंबर पर टिकी हैं। यह दिन तय करेगा कि अभय चौटाला का यह प्रयास हरियाणा की राजनीति में आईएनएलडी को नई जान दे पाता है या फिर यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक आयोजन बनकर रह जाता है। फिलहाल पार्टी और उसके समर्थक इस दिन को एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत मानकर बड़ी उम्मीदें लगा चुके हैं।
