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जगदीप धनखड़ ने उत्तराधिकारी के शपथ ग्रहण में शिरकत की: ‘कोई असहजता नहीं थी’

In Politics
September 13, 2025
rajneetiguru.com - जगदीप धनखड़ ने उत्तराधिकारी के शपथ ग्रहण में दी उपस्थिति। Image Credit – The Indian Express

नई दिल्ली: एक दुर्लभ लेकिन प्रतीकात्मक कदम के रूप में, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अपने उत्तराधिकारी के शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित रहे। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह ने लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति निरंतरता और सम्मान का संदेश दिया। इस अवसर पर तीन पीढ़ियों के उपराष्ट्रपति — धनखड़, उनके पूर्ववर्ती एम. वेंकैया नायडू और हामिद अंसारी — एक साथ बैठे नज़र आए, जो इस संवैधानिक पद की गरिमा का प्रतीक था।

समारोह के दौरान धनखड़ को नायडू से आत्मीय बातचीत करते देखा गया। इसके बाद उन्होंने अतिथियों के लिए आयोजित पारंपरिक हाई-टी में भी भाग लिया। एक सांसद ने बताया, “उन्होंने अपने सहयोगी से उन लोगों के नाम लिखने के लिए कहा जो उनसे मिलना चाहते थे।” यह उनके सहज और खुले स्वभाव को दर्शाता है, जो उनके कार्यकाल की विशेष पहचान रही है।

अक्सर ऐसा देखा गया है कि पूर्व उपराष्ट्रपति अपने उत्तराधिकारी के शपथ ग्रहण में शामिल नहीं होते। ऐसे में धनखड़ की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। इसे संस्थागत परिपक्वता और व्यक्तिगत गरिमा का प्रतीक माना जा रहा है। साथ ही, उनके साथ नायडू और अंसारी का होना इस बात का प्रतीक है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद संवैधानिक पद एकता का संदेश देते हैं।

भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यरत रहे जगदीप धनखड़ का राजनीतिक और कानूनी पृष्ठभूमि में लंबा अनुभव रहा है। राज्यसभा में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने अनुशासन और शालीनता पर ज़ोर दिया और सभी दलों को सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया। उनका शपथ ग्रहण में शामिल होना इसी दृष्टिकोण का विस्तार माना जा रहा है, जहाँ संस्थाओं के प्रति सम्मान सर्वोपरि रहा।

एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि ऐसे कदम संवैधानिक पदों की साख को मज़बूत करते हैं। “आज की राजनीति में जहाँ विभाजन और मतभेद आम हो गए हैं, धनखड़ की उपस्थिति इस बात का प्रतीक है कि उपराष्ट्रपति जैसे पद व्यक्तिगत या दलगत सीमाओं से परे हैं,” उन्होंने कहा।

धनखड़, नायडू और अंसारी का एक साथ मंच साझा करना उस विरासत की याद दिलाता है जिसे हर उपराष्ट्रपति आगे बढ़ाता है। भले ही राजनीतिक प्राथमिकताएँ अलग-अलग हों, लेकिन परंपराओं की निरंतरता भारत के संसदीय लोकतंत्र की मजबूती को उजागर करती है।

कार्यक्रम के अंत में धनखड़ को सांसदों, राजनयिकों और आम नागरिकों से सहजता से बातचीत करते देखा गया। उनका यह कहना कि “कोई असहजता नहीं थी” इस अवसर की भावना को समेटता है — एक सहज और सम्मानजनक संक्रमण, जो लोकतांत्रिक मूल्यों में निहित है।

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  • नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
    दिल से एक कहानीकार, मैं हर क्लिक, हर स्क्रॉल और हर नए विचार में रचनात्मकता खोजता हूँ। चाहे दिल से लिखे गए शब्दों से जुड़ाव बनाना हो, कॉफी के साथ नए विचारों पर काम करना हो, या बस आसपास की दुनिया को महसूस करना — मैं हमेशा उन कहानियों की तलाश में रहता हूँ जो असर छोड़ जाएँ।

    मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
    हमेशा सीखते रहना और आगे बढ़ना — यही मेरा जीवन और लेखन का मंत्र है।

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नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
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