आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग ने मतदाताओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। आयोग ने बताया कि जिन मतदाताओं के पास उनका मतदाता पहचान पत्र (EPIC) नहीं है, वे अब 12 वैकल्पिक सरकारी पहचान पत्रों का उपयोग कर सकेंगे। इसके साथ ही, आयोग ने ‘पर्दानशीन’ महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए हैं ताकि उनकी पहचान प्रक्रिया सम्मानजनक तरीके से संपन्न हो सके।
चुनाव आयोग की इस घोषणा का उद्देश्य मतदान प्रक्रिया को अधिक समावेशी और सुलभ बनाना है। बिहार में दो चरणों में चुनाव होने हैं — 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी।
चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार, वैकल्पिक पहचान पत्रों में पासपोर्ट, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, बैंक या डाकघर द्वारा जारी फोटो पहचान पत्र, पैन कार्ड, स्मार्ट कार्ड (NPR), मनरेगा जॉब कार्ड, पेंशन दस्तावेज, सेवा पहचान पत्र (सरकारी कर्मचारियों के लिए), और अन्य 12 स्वीकृत दस्तावेज शामिल हैं। इन दस्तावेजों को मतदाता पहचान पत्र की अनुपस्थिति में पहचान के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
आयोग ने कहा कि यह व्यवस्था विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए उपयोगी होगी, जहां कई लोगों के पास EPIC कार्ड नहीं है। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी पात्र नागरिक को मतदान से वंचित न होना पड़े। वैकल्पिक पहचान पत्रों की अनुमति से यह प्रक्रिया और अधिक सरल तथा पारदर्शी बनेगी।”
विशेष रूप से, ‘पर्दानशीन’ महिलाओं के लिए चुनाव आयोग ने सम्मानजनक पहचान सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। मतदान केंद्रों पर ऐसी महिलाओं के लिए अलग काउंटर और महिला कर्मियों की नियुक्ति की जाएगी, ताकि उनकी गोपनीयता और गरिमा बनी रहे। बिहार के ग्रामीण और पारंपरिक क्षेत्रों में यह व्यवस्था विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय महिला मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। पिछले कुछ वर्षों में बिहार में महिला मतदाताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2020 के विधानसभा चुनावों में महिला मतदान प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा था। इस बार, आयोग महिलाओं के लिए सुविधाओं को और बेहतर करने पर ध्यान दे रहा है।
चुनाव आयोग ने राज्य प्रशासन को भी निर्देश दिए हैं कि मतदान केंद्रों पर बुनियादी सुविधाओं जैसे पेयजल, शौचालय और बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। साथ ही, दिव्यांग मतदाताओं के लिए व्हीलचेयर और रैंप की व्यवस्था भी अनिवार्य की गई है।
चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और सुरक्षा को लेकर भी आयोग सतर्क है। बिहार में कुल 7.2 करोड़ से अधिक मतदाता हैं, जिनमें लगभग 3.4 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। चुनाव आयोग ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि संवेदनशील मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त पुलिस बल और सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था की जाए।
राजनीतिक दलों ने आयोग की इस पहल का स्वागत किया है। जनता दल (यूनाइटेड) के एक प्रवक्ता ने कहा, “चुनाव आयोग का यह कदम लोकतंत्र को और सशक्त करेगा। हर नागरिक को मतदान का अधिकार मिलना चाहिए, और पहचान पत्रों की विविधता से यह और भी आसान हो जाएगा।” वहीं, कांग्रेस के एक नेता ने भी कहा कि “पर्दानशीन महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान आयोग की संवेदनशीलता को दर्शाता है, जो लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप है।”
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि बिहार में इस बार चुनाव आयोग का ध्यान केवल निष्पक्षता पर नहीं, बल्कि समावेशिता पर भी केंद्रित है। आयोग के ये कदम संकेत देते हैं कि मतदाता सुविधा और गरिमा दोनों ही इस चुनाव में प्राथमिकता पर हैं।
