भाजपा और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच एक नया विवाद तब सामने आया जब भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को चंडीगढ़ में एक “सात-सितारा” सरकारी बंगला आवंटित किया गया है। भाजपा ने इस संपत्ति को “शीश महल 2.0” का नाम दिया है, जो पहले दिल्ली स्थित केजरीवाल के सरकारी आवास को लेकर उठे विवाद की याद दिलाता है।
भाजपा नेताओं का दावा है कि यह बंगला चंडीगढ़ के एक प्रमुख सेक्टर में स्थित है और इसे पंजाब मुख्यमंत्री के विवेकाधीन कोटे से केजरीवाल के निजी उपयोग के लिए तैयार कराया गया। उनका कहना है कि इस बंगले की मरम्मत जनता के पैसों से की गई है, जबकि केजरीवाल न तो पंजाब के किसी संवैधानिक पद पर हैं और न ही केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ में किसी पद के पात्र हैं।
भाजपा प्रवक्ताओं ने इसे “सार्वजनिक संसाधनों के दुरुपयोग” का मामला बताया। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “जनसेवा किसी महल के साथ नहीं आनी चाहिए। सादगी का जो आदर्श केजरीवाल कभी बताते थे, वह अब कहीं खो गया लगता है।”
AAP ने इन आरोपों को पूरी तरह से नकारते हुए उन्हें “राजनीतिक रूप से प्रेरित और मनगढ़ंत” बताया। पार्टी ने भाजपा को चुनौती दी कि यदि उनका दावा सही है तो वे आवंटन पत्र या कोई आधिकारिक दस्तावेज प्रस्तुत करें। पार्टी ने बयान में कहा, “अगर इसमें ज़रा भी सच्चाई है, तो भाजपा सबूत पेश करे। वरना जनता समझ जाएगी कि यह सिर्फ ध्यान भटकाने की चाल है।”
आप ने यह भी तर्क दिया कि चंडीगढ़ प्रशासन सीधे केंद्र सरकार के अधीन है, इसलिए बिना उसकी अनुमति कोई आवंटन संभव ही नहीं है। पार्टी का कहना है कि यह पूरा विवाद आगामी चुनावों से पहले उसकी छवि खराब करने की कोशिश है।
“शीश महल” शब्द पहले तब सुर्खियों में आया था जब दिल्ली में केजरीवाल के सरकारी आवास की मरम्मत को लेकर भाजपा ने खर्चे पर सवाल उठाए थे। अब “शीश महल 2.0” विवाद उसी कथानक को पंजाब और चंडीगढ़ में दोहराता दिख रहा है।
केजरीवाल, जो पंजाब के विधायक नहीं हैं, 2022 में भगवंत मान सरकार बनने के बाद से अक्सर चंडीगढ़ जाते रहे हैं। भाजपा का आरोप है कि ये दौरों के बहाने स्थायी निवास में बदल गए हैं।
हालांकि, आप नेताओं का कहना है कि केजरीवाल केवल सरकारी अतिथि गृहों में ठहरते हैं और उन्हें कोई स्थायी आवास आवंटित नहीं किया गया है। उन्होंने भाजपा पर “फर्जी प्रचार” करने का आरोप लगाया है ताकि जनता में गलत धारणा बने।
यह विवाद सरकारी संपत्तियों के पारदर्शी उपयोग और राजनीतिक सादगी की बहस को फिर से जीवित करता है। विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद केवल एक आवास का नहीं, बल्कि नैतिक छवि की लड़ाई का प्रतीक है।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अनीता वर्मा ने कहा, “यह लड़ाई असल में धारणा की है। एक पक्ष खुद को ईमानदार साबित करना चाहता है, तो दूसरा विरोधी पर भव्यता का आरोप लगाकर नैतिक बढ़त पाना चाहता है।”
अब तक किसी आधिकारिक दस्तावेज़ से यह पुष्टि नहीं हुई है कि केजरीवाल को कोई बंगला आवंटित हुआ है। चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से भी इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
भाजपा ने पंजाब सरकार से सार्वजनिक स्पष्टीकरण मांगा है, जबकि आप लगातार अपने विरोधियों से सबूत पेश करने की मांग कर रही है। जब तक ठोस तथ्य सामने नहीं आते, “शीश महल 2.0” विवाद केवल राजनीतिक बयानबाज़ी का विषय बना रहेगा — देश की दो प्रमुख पार्टियों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा का एक और उदाहरण।
