19 views 5 secs 0 comments

क्रॉस-वोटिंग विवाद से विपक्ष में असमंजस

In Politics
September 11, 2025
rajneetiguru.com - उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में विपक्ष में क्रॉस-वोटिंग विवाद। Image Credit – The Economic Times

हाल ही में संपन्न हुए उपराष्ट्रपति चुनाव ने विपक्षी खेमे में असमंजस और असंतोष पैदा कर दिया है। परिणाम उम्मीद से कम आने और 15 वोट अमान्य घोषित होने के बाद क्रॉस-वोटिंग की आशंका गहरा गई है। INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार बी. सुधर्शन रेड्डी को अपेक्षित समर्थन नहीं मिल पाया, जिससे आंतरिक मतभेद और अनुशासनहीनता के आरोप उभरकर सामने आए हैं।

सत्ताधारी गठबंधन के उम्मीदवार ने स्पष्ट बहुमत से जीत दर्ज की, जबकि विपक्ष को अपेक्षित 315 से अधिक वोट नहीं मिल सके। इससे विपक्षी दलों के बीच भरोसे की कमी पर सवाल उठने लगे हैं।

15 वोटों का अमान्य होना भी चर्चा का विषय बन गया है। यह संख्या सामान्य परिस्थितियों से अधिक है, जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कुछ सांसदों ने या तो जानबूझकर गलत वोट डाले या फिर पार्टी लाइन के खिलाफ मतदान किया।

कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने इस मामले को “गंभीर और चिंताजनक” बताया है। उनका कहना है कि यदि क्रॉस-वोटिंग हुई है, तो यह INDIA ब्लॉक की एकजुटता पर गहरा प्रहार है। कई सांसदों ने मांग की है कि प्रत्येक सहयोगी दल आंतरिक स्तर पर समीक्षा करे और जिम्मेदारी तय करे।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “क्रॉस-वोटिंग सहयोगियों के बीच विश्वास को हिला देती है। इस मामले की जांच कर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी।”

वामपंथी नेताओं ने भी चिंता जताई है कि अमान्य वोट या तो लापरवाही का नतीजा हैं या फिर जानबूझकर sabotage किया गया है, दोनों ही स्थितियाँ विपक्ष की साख को नुकसान पहुँचाती हैं।

भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सांसदों द्वारा गुप्त मतदान से होता है। इस प्रक्रिया में पार्टी व्हिप लागू नहीं होता, और सांसद अपने विवेक से वोट डाल सकते हैं। यही कारण है कि राजनीतिक रूप से विभाजित माहौल में क्रॉस-वोटिंग की संभावना अधिक रहती है।

इतिहास गवाह है कि ऐसे चुनावों में क्रॉस-वोटिंग बार-बार सामने आई है, जिसने गठबंधनों की कमजोरियों को उजागर किया है। अमान्य वोट भले तकनीकी गलती से हों, लेकिन जब वे बड़ी संख्या में आएं तो अक्सर उन्हें असंतोष का संकेत माना जाता है।

INDIA ब्लॉक खुद को सत्ताधारी गठबंधन के खिलाफ एकजुट चुनौती के रूप में पेश कर रहा था। मगर उपराष्ट्रपति चुनाव में यह नतीजा उसके संगठनात्मक अनुशासन और एकता पर सवाल खड़े कर रहा है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की घटनाएँ न केवल विपक्ष की राजनीतिक ताकत को कमजोर करती हैं, बल्कि मतदाताओं के बीच उसकी साख पर भी असर डालती हैं।

विपक्षी दल अब अपने भीतर समीक्षा और परामर्श की प्रक्रिया शुरू करने जा रहे हैं। भविष्य में अनुशासन सुनिश्चित करने और समन्वय को मजबूत करने पर जोर दिए जाने की संभावना है।

इधर, सत्ताधारी गठबंधन ने इस नतीजे को अपनी व्यापक स्वीकार्यता का प्रमाण बताया है और इशारा किया है कि विपक्ष के कुछ सांसदों ने भी “विवेक से वोट” किया। इस बयान ने विपक्ष की असहजता और बढ़ा दी है।

कुल मिलाकर, यह चुनाव केवल उच्च पद के लिए मुकाबला नहीं था, बल्कि विपक्ष की एकजुटता और विश्वसनीयता की परीक्षा भी बन गया है।

Author

/ Published posts: 114

Rajneeti Guru Author