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केरल में CPM का नया रुख: हिंदू भक्तों से संवाद की कोशिश

In Politics
October 06, 2025
rajneetiguru.com - केरल में CPM का नया रुख: हिंदू भक्तों से संवाद। Image Credit – The Indian Express

केरल की राजनीति में एक दिलचस्प बदलाव देखने को मिल रहा है। वामपंथी विचारधारा की पार्टी CPI(M) अब उन समुदायों तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रही है, जिनसे वह परंपरागत रूप से दूरी बनाए रखती आई थी — यानी हिंदू भक्त समुदाय।
हाल ही में आयोजित Global Ayyappa Sangamam कार्यक्रम में इस बदलाव के संकेत साफ दिखे, जब एक वामपंथी मंत्री ने भगवान अय्यप्पा को समर्पित कार्यक्रम में आध्यात्मिक संदेश पढ़ा और धार्मिक सौहार्द का आह्वान किया।

वामपंथी राजनीति लंबे समय से धर्मनिरपेक्षता और वर्ग संघर्ष पर आधारित रही है। लेकिन समय के साथ, केरल में सामाजिक और धार्मिक आधारों पर राजनीति ने नया रूप लिया है। कई समुदाय, विशेष रूप से हिंदू पिछड़ी जातियाँ और मंदिरों से जुड़े संगठन, धीरे-धीरे वामपंथी दलों से दूरी बनाने लगे।
ऐसे में CPM के लिए यह जरूरी हो गया कि वह उन धार्मिक समूहों तक पहुँचे, जो कभी उसके मजबूत समर्थक हुआ करते थे।

Ayyappa Sangamam कार्यक्रम का उद्देश्य आध्यात्मिक संवाद, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से तीर्थस्थलों के विकास पर चर्चा करना था। हालांकि, राजनीतिक हलकों में इसे CPM के “सांस्कृतिक पुनर्संतुलन” के रूप में देखा जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान मंत्रियों ने भगवान अय्यप्पा की शिक्षाओं को एकता और समानता का प्रतीक बताया, जो समाज में समरसता लाने का संदेश देती हैं। यह वक्तव्य CPM की नई रणनीति की झलक थी — धार्मिक भावनाओं को समझना और उन्हें अपने सामाजिक विकास के एजेंडे से जोड़ना।

पिछले कुछ वर्षों में CPM को अपने परंपरागत वोट बैंक में गिरावट का सामना करना पड़ा है। कुछ समुदायों ने महसूस किया कि पार्टी का रुख अत्यधिक वैचारिक हो गया है और वह उनकी सांस्कृतिक पहचान को नहीं समझ पा रही।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह परिवर्तन एक “व्यावहारिक मोड़” है — पार्टी अब विचारधारा से अधिक संवाद और संतुलन पर ध्यान दे रही है।
आने वाले विधानसभा चुनावों में यह कदम CPM के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि केरल की राजनीति में हिंदू मतदाता एक निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

पार्टी के भीतर भी इस रणनीति को लेकर चर्चाएं तेज हैं। कुछ नेता इसे “यथार्थवादी” कदम मानते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि इससे पार्टी की धर्मनिरपेक्ष छवि कमजोर हो सकती है।
फिर भी, राज्य नेतृत्व का कहना है कि “श्रद्धालु होना और प्रगतिशील होना, दोनों विरोधाभासी नहीं हैं। वाम सरकार सभी समुदायों के प्रति समान सम्मान रखती है।”
यह बयान स्पष्ट संकेत देता है कि पार्टी अब धार्मिक भावनाओं को विरोध के बजाय सहयोग के माध्यम से देखने की दिशा में बढ़ रही है।

विपक्षी दलों का आरोप है कि CPM यह कदम सिर्फ चुनावी गणित साधने के लिए उठा रही है। उनका कहना है कि वामपंथी दल जनता की आस्था का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि, कई पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह बदलाव केवल चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का संकेत है — जहां धर्म, संस्कृति और राजनीति के बीच नई संतुलन रेखा खींची जा रही है।

केरल में आने वाले वर्षों में राजनीति का केंद्र केवल विचारधारा नहीं रहेगा, बल्कि समाज के सांस्कृतिक मूल्यों की समझ पर भी निर्भर करेगा। CPM की यह पहल उस दिशा में पहला कदम मानी जा रही है।
अगर यह रणनीति सफल रही, तो यह वामपंथी राजनीति के लिए एक नए युग की शुरुआत कर सकती है — जहां वर्ग संघर्ष और धार्मिक सहअस्तित्व, दोनों एक ही मंच पर खड़े होंगे।

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  • नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
    दिल से एक कहानीकार, मैं हर क्लिक, हर स्क्रॉल और हर नए विचार में रचनात्मकता खोजता हूँ। चाहे दिल से लिखे गए शब्दों से जुड़ाव बनाना हो, कॉफी के साथ नए विचारों पर काम करना हो, या बस आसपास की दुनिया को महसूस करना — मैं हमेशा उन कहानियों की तलाश में रहता हूँ जो असर छोड़ जाएँ।

    मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
    हमेशा सीखते रहना और आगे बढ़ना — यही मेरा जीवन और लेखन का मंत्र है।

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