आम आदमी पार्टी (AAP) को गोवा में एक बड़ा झटका लगा है, जब पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश कलंगुटकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह कदम दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल द्वारा कांग्रेस पर की गई टिप्पणी के कुछ दिनों बाद आया है। केजरीवाल ने अपने गोवा दौरे के दौरान साफ कहा था कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन पर विचार नहीं करेगी, क्योंकि “कांग्रेस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।”
कलंगुटकर ने अपने इस्तीफे में केजरीवाल के इस रुख पर नाराजगी जताई और कहा कि इससे विपक्षी एकता की भावना को गहरी चोट पहुंची है। उन्होंने आरोप लगाया कि AAP के हालिया कदमों से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) को ही अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंचा रही है।
उन्होंने कहा, “आपने यह स्पष्ट कर दिया है कि आम आदमी पार्टी अब भाजपा की मदद करने में ही रुचि रखती है। विपक्षी दलों को साथ लाने की बजाय पार्टी विभाजन की राजनीति में उलझी हुई है,” कलंगुटकर ने अपने इस्तीफे में लिखा।
गोवा में AAP ने वर्ष 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में भाग लिया था, लेकिन सीमित सफलता ही हासिल की। 2022 के चुनावों में पार्टी केवल दो सीटें जीतने में सफल रही थी। तब से पार्टी राज्य में संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रही थी। राजेश कलंगुटकर को 2023 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, ताकि वे संगठनात्मक विस्तार और स्थानीय स्तर पर जनसंपर्क को बढ़ा सकें।
हालांकि, पिछले कुछ महीनों से राज्य इकाई में मतभेद की खबरें सामने आ रही थीं। कांग्रेस और AAP के बीच संभावित गठबंधन पर भी चर्चा चल रही थी, जिससे विपक्षी एकता को बढ़ावा मिल सकता था। लेकिन केजरीवाल के हालिया बयान ने इन उम्मीदों को समाप्त कर दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कलंगुटकर का इस्तीफा गोवा में AAP के लिए संगठनात्मक झटका है। यह कदम राज्य में पार्टी की विश्वसनीयता और विपक्षी गठबंधन के प्रति उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े करता है।
एक स्थानीय राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा, “गोवा जैसे छोटे लेकिन राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में विपक्षी एकता बेहद जरूरी है। AAP का रुख इस दिशा में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।”
कांग्रेस की गोवा इकाई ने भी इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया दी। पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा, “AAP का यह रवैया विपक्षी एकजुटता के लिए हानिकारक है। कलंगुटकर जैसे नेताओं का इस्तीफा इस बात का संकेत है कि पार्टी के भीतर भी असहमति गहराती जा रही है।”
हालांकि, आम आदमी पार्टी ने अब तक कलंगुटकर के इस्तीफे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि “पार्टी अपने सिद्धांतों और ईमानदार राजनीति पर कायम है। जो लोग व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से प्रेरित हैं, उन्हें संगठन छोड़ने की स्वतंत्रता है।
विश्लेषकों का कहना है कि गोवा में AAP की स्थिति पहले से ही कमजोर थी, और यह इस्तीफा पार्टी की छवि को और नुकसान पहुंचा सकता है। राज्य में BJP मजबूत स्थिति में है, जबकि कांग्रेस, गोवा फॉरवर्ड पार्टी और अन्य क्षेत्रीय दल मिलकर विपक्ष को पुनर्गठित करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस बीच, कलंगुटकर के समर्थकों का कहना है कि वह अब कांग्रेस या किसी अन्य विपक्षी दल के साथ मिलकर काम करने की संभावना तलाश सकते हैं।
गोवा की राजनीति में यह घटनाक्रम ऐसे समय आया है जब अगले लोकसभा चुनावों की तैयारियाँ पूरे जोर पर हैं। ऐसे में विपक्षी एकता के लिए यह इस्तीफा एक झटका माना जा रहा है।
