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करूर की घटना पर बढ़ी सियासी बहस, FIR और जिम्मेदारी पर उठे सवाल

In Politics
September 29, 2025
rajneetiguru.com - करूर घटना: विजय कार्यक्रम पर बवाल, FIR और सुरक्षा पर उठे सवाल। Image Credit – The Indian Express

तमिलनाडु के करूर जिले में हाल ही में हुई अफरातफरी की घटना ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। यह घटना उस समय सामने आई जब अभिनेता से नेता बने विजय के संगठन की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। भीड़ के अचानक बेकाबू होने से कई लोग घायल हुए और प्रशासन पर सुरक्षा इंतज़ामों को लेकर सवाल खड़े हो गए।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, करूर में आयोजित इस कार्यक्रम में हजारों लोग शामिल हुए थे। कार्यक्रम की शुरुआत शांतिपूर्ण ढंग से हुई, लेकिन अचानक धक्का-मुक्की और भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। अफरातफरी में कई लोगों को चोटें आईं और मौके पर मौजूद प्रशासनिक तंत्र पर भीड़ नियंत्रण में विफल रहने का आरोप लगा।

घटना की जानकारी सामने आने के बाद पुलिस ने FIR दर्ज की, जिसमें कार्यक्रम आयोजकों और कुछ कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया गया। हालांकि, इस FIR ने एक और विवाद को जन्म दे दिया, क्योंकि कई लोग इसे एकतरफा कार्रवाई बता रहे हैं।

घटना के बाद विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर सवाल खड़े किए। विपक्ष का कहना है कि यदि प्रशासन ने पर्याप्त सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के उपाय किए होते, तो ऐसी स्थिति नहीं बनती। वहीं सत्ताधारी दल का तर्क है कि आयोजकों ने अपेक्षित अनुमतियों और व्यवस्थाओं का पालन नहीं किया, जिससे भीड़ नियंत्रण में समस्या आई।

कांग्रेस सांसद जोथिमणि ने भी इस घटना पर नाराज़गी जताई और इसे आम लोगों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बताया। उन्होंने मांग की कि सरकार जिम्मेदार लोगों के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई करे और पीड़ितों को मुआवजा प्रदान किया जाए।

विजय, जो हाल ही में राजनीति में सक्रिय हुए हैं, के संगठन के कार्यक्रम में यह घटना होना उनके राजनीतिक सफर के लिए एक चुनौतीपूर्ण मोड़ माना जा रहा है। समर्थकों का कहना है कि यह घटना अचानक भीड़ के बेकाबू होने से हुई और संगठन को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। वहीं आलोचक इसे राजनीतिक अनुभव की कमी और तैयारियों में चूक से जोड़कर देख रहे हैं।

विजय ने घटना पर दुख जताया और घायलों के परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने भरोसा दिलाया कि संगठन भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए और सख्त प्रबंधन करेगा।

FIR दर्ज होने के बाद इस मामले में कानूनी पहलू भी प्रमुख हो गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं में जिम्मेदारी तय करना आसान नहीं होता क्योंकि इसमें प्रशासन और आयोजक, दोनों की भूमिका होती है। अगर जांच निष्पक्ष होती है, तो इससे भविष्य में भीड़ प्रबंधन को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश तय किए जा सकते हैं।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि तमिलनाडु में बड़े आयोजनों के दौरान सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण अक्सर उपेक्षित रह जाते हैं। लोग चाहते हैं कि चाहे राजनीतिक हो या सांस्कृतिक कार्यक्रम, सरकार और आयोजक मिलकर ऐसे कदम उठाएं जिससे आम जनता सुरक्षित महसूस करे।

इस घटना ने तमिलनाडु की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर विपक्ष इसे सरकार की विफलता बता रहा है, वहीं सत्ताधारी दल आयोजकों की लापरवाही पर जोर दे रहा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच किस दिशा में जाती है और दोषियों पर किस तरह की कार्रवाई होती है।

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