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एनडीए की सुर लय में दरार की धुन

In Politics
October 09, 2025
rajneetiguru.com - एनडीए सीट बंटवारे पर मांझी-चिराग आमने-सामने। Image Credit – The Indian Express

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर मतभेद गहराने लगे हैं। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (से.) के प्रमुख जीतन राम मांझी और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान — दोनों अपने-अपने दावे को लेकर अडिग हैं, जिससे गठबंधन के भीतर तनाव बढ़ गया है।

मांझी ने अपने असंतोष को कविताई अंदाज़ में व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक प्रतीकात्मक पंक्ति लिखी —
“हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि न हो सके तो केवल 15 ग्राम दे दो, हम वही खुशी से खाएंगे।”

यह पंक्ति जितनी भावनात्मक थी, उतनी ही स्पष्ट भी। मांझी ने साफ कहा कि यदि उनकी 15 सीटों की मांग पूरी नहीं हुई, तो उनकी पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी, भले ही एनडीए का समर्थन जारी रखेगी।
यह स्थिति भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि मांझी का अलग होना दलित वोट बैंक पर असर डाल सकता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ उनका जनाधार मजबूत है।

दूसरी ओर, युवा नेता चिराग पासवान ने लगभग 40 सीटों की मांग रखी है। वे लगातार यह दोहरा रहे हैं कि उनकी राजनीति “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” के विज़न पर आधारित है।
उनका यह रुख न सिर्फ आत्मविश्वास दर्शाता है बल्कि यह भी दिखाता है कि लोकसभा चुनावों में मिले प्रदर्शन ने उनके दावों को मज़बूत किया है। भाजपा के सामने अब चुनौती है कि वह सहयोगियों को संतुष्ट रखे, पर अपने खुद के कैडर की नाराजगी से बचे।

एनडीए की यह खींचतान उस समय हो रही है जब चुनाव आयोग जल्द ही बिहार चुनाव की तारीखों की घोषणा करने वाला है। भाजपा नेतृत्व दोनों नेताओं के साथ संवाद बनाए रखने की कोशिश कर रहा है ताकि चुनाव से पहले किसी बड़े टकराव की स्थिति न बने।

राजनीतिक विश्लेषक इसे सिर्फ सीट बंटवारे का विवाद नहीं, बल्कि बिहार की सामाजिक संरचना का प्रतीक मानते हैं — जहाँ जातीय समीकरण और क्षेत्रीय वफादारियाँ निर्णायक भूमिका निभाती हैं। मांझी अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखना चाहते हैं, जबकि चिराग अपने पिता रामविलास पासवान की विरासत को आगे बढ़ाने में जुटे हैं।

एक वरिष्ठ विश्लेषक के शब्दों में, “बिहार में एनडीए की ताकत हमेशा उसके साझेदारों के बीच सामंजस्य बनाए रखने में रही है। यदि यह संतुलन बिगड़ा, तो विपक्ष को बड़ा मौका मिल सकता है।”

भाजपा को अब न केवल छोटे सहयोगियों को संभालना है, बल्कि नीतीश कुमार की जद(यू) के साथ भी तालमेल बनाए रखना है। ऐसे में सीट बंटवारा अब सिर्फ राजनीतिक समझौता नहीं, बल्कि परिपक्वता की परीक्षा बन गया है।

फिलहाल मांझी और चिराग दोनों ने भाजपा या जद(यू) के प्रति सीधी आलोचना से परहेज किया है, जिससे समझौते की संभावना बनी हुई है। पर जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, यह तय होगा कि एनडीए एक सुर में आगे बढ़ेगा या बिखराव की धुन बजेगी।

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  • नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
    दिल से एक कहानीकार, मैं हर क्लिक, हर स्क्रॉल और हर नए विचार में रचनात्मकता खोजता हूँ। चाहे दिल से लिखे गए शब्दों से जुड़ाव बनाना हो, कॉफी के साथ नए विचारों पर काम करना हो, या बस आसपास की दुनिया को महसूस करना — मैं हमेशा उन कहानियों की तलाश में रहता हूँ जो असर छोड़ जाएँ।

    मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
    हमेशा सीखते रहना और आगे बढ़ना — यही मेरा जीवन और लेखन का मंत्र है।

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नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
दिल से एक कहानीकार, मैं हर क्लिक, हर स्क्रॉल और हर नए विचार में रचनात्मकता खोजता हूँ। चाहे दिल से लिखे गए शब्दों से जुड़ाव बनाना हो, कॉफी के साथ नए विचारों पर काम करना हो, या बस आसपास की दुनिया को महसूस करना — मैं हमेशा उन कहानियों की तलाश में रहता हूँ जो असर छोड़ जाएँ।

मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
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