45 views 4 secs 0 comments

एच-1बी पर प्रवासी चुप्पी पर विवाद

In Politics
September 24, 2025
rajneetiguru.com - एच-1बी नीति पर भारतीय प्रवासी चुप्पी — थरूर की आपत्ति – The Economic Times

नई दिल्ली में अमेरिकी संसदीय प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई हालिया बातचीत में भारत की संसदीय स्थायी समिति (विदेश मामलों) ने अमेरिकी नीतिगत फैसलों पर चिंता जताई। चर्चा के केंद्र में एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम रहा, जो लंबे समय से भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में काम करने का महत्वपूर्ण माध्यम रहा है।

कांग्रेस सांसद और समिति के सदस्य शशि थरूर ने आश्चर्य व्यक्त किया कि भारतीय-अमेरिकी प्रवासी समुदाय इन बदलावों पर “असामान्य रूप से चुप” क्यों है। उन्होंने कहा कि जबकि वीज़ा शुल्क वृद्धि और कड़े नियम सीधे भारतीय पेशेवरों को प्रभावित कर रहे हैं, समुदाय की ओर से सक्रिय आवाज़ बहुत कम सुनाई दी है।

एच-1बी वीज़ा भारत के आईटी उद्योग और कुशल कार्यबल के लिए अहम रहा है। भारतीय नागरिक इस वीज़ा का सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं। ऐसे में हालिया नीतिगत बदलाव — जैसे वीज़ा शुल्क में तेज़ वृद्धि और नई पाबंदियाँ — रोज़गार, पारिवारिक प्रवासन और भारत की विदेशी मुद्रा प्रवाह पर गहरा असर डाल सकते हैं।

बैठक में थरूर ने कहा:

“यह चौंकाने वाली बात है कि भारतीय-अमेरिकी प्रवासी इस विषय पर इतने शांत हैं। इन नीतियों का सीधा असर उन्हीं पर पड़ रहा है, इसलिए उनसे उम्मीद थी कि वे अपनी बात मज़बूती से रखेंगे।”

उन्होंने प्रवासी संगठनों से अमेरिकी सांसदों के साथ सक्रिय लॉबिंग करने और भारत के पक्ष में नीतिगत माहौल बनाने की अपील की।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसदों ने माना कि यह मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण है। कुछ ने यह भी कहा कि भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं की ओर से संपर्क न होना वास्तव में अप्रत्याशित है। उनका मानना था कि प्रवासी समुदाय अक्सर दोनों देशों के बीच पुल का काम करता है और उसकी भागीदारी निर्णायक भूमिका निभा सकती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि चुप्पी के पीछे कई कारण हो सकते हैं — राजनीतिक प्रतिक्रिया का डर, संगठनों में बिखराव या चुनावी साल की अनिश्चितता। लेकिन यह भी माना जा रहा है कि यदि प्रवासी समुदाय सक्रिय नहीं हुआ तो भारत अमेरिकी नीति-निर्माण में एक महत्वपूर्ण दबाव-तंत्र खो सकता है।

भारतीय आईटी कंपनियाँ पहले से ही इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं। आशंका है कि कुशल पेशेवर अब कनाडा या ब्रिटेन जैसे विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे वैश्विक प्रवासन पैटर्न बदल सकता है।

संसदीय समिति ने ज़ोर दिया कि भारतीय प्रवासी समुदाय ने हमेशा भारत-अमेरिका संबंधों को मज़बूत करने में योगदान दिया है। लेकिन मौजूदा खामोशी को असामान्य माना जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अब भारतीय-अमेरिकी समुदाय के भीतर अधिक संगठित राजनीतिक भागीदारी आवश्यक होगी। सवाल यह है कि क्या प्रवासी समुदाय थरूर की अपील का जवाब देगा या फिर अपनी वर्तमान चुप्पी जारी रखेगा।

यह मुद्दा केवल वीज़ा का नहीं है, बल्कि यह उस प्रवासी समुदाय की भूमिका और ज़िम्मेदारी को भी दर्शाता है जो आज अमेरिका के सबसे प्रभावशाली आप्रवासी समूहों में से एक है।

Author

  • नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
    दिल से एक कहानीकार, मैं हर क्लिक, हर स्क्रॉल और हर नए विचार में रचनात्मकता खोजता हूँ। चाहे दिल से लिखे गए शब्दों से जुड़ाव बनाना हो, कॉफी के साथ नए विचारों पर काम करना हो, या बस आसपास की दुनिया को महसूस करना — मैं हमेशा उन कहानियों की तलाश में रहता हूँ जो असर छोड़ जाएँ।

    मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
    हमेशा सीखते रहना और आगे बढ़ना — यही मेरा जीवन और लेखन का मंत्र है।

    Connect:

    Rajneeti Guru Author

/ Published posts: 208

नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
दिल से एक कहानीकार, मैं हर क्लिक, हर स्क्रॉल और हर नए विचार में रचनात्मकता खोजता हूँ। चाहे दिल से लिखे गए शब्दों से जुड़ाव बनाना हो, कॉफी के साथ नए विचारों पर काम करना हो, या बस आसपास की दुनिया को महसूस करना — मैं हमेशा उन कहानियों की तलाश में रहता हूँ जो असर छोड़ जाएँ।

मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
हमेशा सीखते रहना और आगे बढ़ना — यही मेरा जीवन और लेखन का मंत्र है।

Connect:

Rajneeti Guru Author