
भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए आज मतदान शुरू हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले वोट डालकर इस प्रक्रिया की शुरुआत की। यह चुनाव उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के त्यागपत्र के बाद हो रहा है, जिसने देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर दुर्लभ रिक्ति पैदा कर दी।
उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों द्वारा गुप्त मतदान (सिंगल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली) से किया जाता है। आज सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक संसद परिसर में मतदान हो रहा है। मतगणना शाम को होगी और परिणाम देर रात तक घोषित होने की संभावना है।
संविधान के अनुसार उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं और आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रपति के दायित्व संभाल सकते हैं। यही कारण है कि इस पद का संवैधानिक और राजनीतिक महत्व बहुत अधिक है।
शासक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने अनुभवी नेता सी. पी. राधakrishnan को उम्मीदवार बनाया है। वे अपने लंबे राजनीतिक अनुभव और संगठनात्मक क्षमताओं के लिए जाने जाते हैं। NDA की संख्या बल के कारण उन्हें प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
विपक्षी INDIA ब्लॉक ने बी. सुडर्शन रेड्डी, सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, को उम्मीदवार बनाया है। वे अपनी निष्पक्षता और ईमानदारी की छवि के लिए पहचाने जाते हैं। विपक्ष ने उनकी उम्मीदवारी को सत्ता गठबंधन के खिलाफ प्रतीकात्मक चुनौती बताया है।
NDA को संसद में स्पष्ट बहुमत प्राप्त है, जिससे उसके उम्मीदवार को बढ़त मिलती दिख रही है। हालांकि, गुप्त मतदान की व्यवस्था क्रॉस-वोटिंग की संभावना बनाए रखती है, जिससे चुनाव अप्रत्याशित भी हो सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव परिणाम से अधिक संदेश देने का माध्यम है। NDA के लिए जीत उसकी संसदीय ताक़त को फिर से सिद्ध करेगी, वहीं INDIA ब्लॉक इसे अपनी एकजुटता दिखाने का मौका मान रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने वोट डालने के बाद कहा कि यह चुनाव “सिर्फ एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की पुनर्पुष्टि है।”
विपक्षी उम्मीदवार सुडर्शन रेड्डी ने आत्मविश्वास जताते हुए कहा, “यह चुनाव अंतरात्मा का है। मुझे विश्वास है कि कई सांसद लोकतांत्रिक भावना को ध्यान में रखकर मतदान करेंगे।”
इसी बीच NDA के वरिष्ठ नेताओं ने अपने उम्मीदवार की योग्यता पर भरोसा जताया। एक भाजपा सांसद ने कहा, “राधakrishnan में राज्यसभा को संतुलन और मर्यादा के साथ चलाने की क्षमता है। उनका चुनाव संसदीय परंपराओं को मजबूत करेगा।”
नए उपराष्ट्रपति न केवल राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करेंगे बल्कि संसद के सुचारु संचालन और बढ़ते राजनीतिक ध्रुवीकरण के बीच संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाएंगे। परिणाम आने वाले विधानसभा चुनावों और भविष्य की राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डाल सकता है।
हालांकि संख्या बल NDA के पक्ष में है, लेकिन अंतिम परिणाम से ही यह स्पष्ट होगा कि दोनों गठबंधनों की एकजुटता कितनी मज़बूत है।
आज रात तक यह तय हो जाएगा कि भारत का 15वां उपराष्ट्रपति कौन होगा—एक ऐसा पद जो शासन और लोकतांत्रिक प्रणाली दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।