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उपराष्ट्रपति चुनाव में राधाकृष्णन की बढ़त स्पष्ट

In Politics
September 09, 2025
rajneetiguru.com - एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन की बढ़त। Image Credit – The Indian Express

भारत के अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव ने राजनीतिक हलकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन और विपक्ष के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच हो रहे इस मुकाबले में अब हालात राधाकृष्णन के पक्ष में जाते दिख रहे हैं।

उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों — लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 245 सदस्यों — से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए के पास पहले से ही लोकसभा में बहुमत है और सहयोगी दलों का समर्थन उसे और मज़बूत बना रहा है।

ताज़ा बढ़त उसे वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) से मिली है, जिसने राधाकृष्णन के पक्ष में मतदान की घोषणा की है। वहीं बीजू जनता दल (बीजद) और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) जैसे क्षेत्रीय दलों ने मतदान से दूर रहने का फैसला किया है, जिससे विपक्ष की प्रभावी ताकत घट गई है।

इन परिस्थितियों में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है।

भारत का उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है और वह राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है। यह पद तब रिक्त हुआ जब जगदीप धनखड़ ने दूसरे संवैधानिक पद के लिए नामांकन के बाद इस्तीफ़ा दिया।

एनडीए उम्मीदवार राधाकृष्णन एक अनुभवी राजनेता और पूर्व भाजपा सांसद हैं, जो अपने संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाते हैं। उनके प्रतिद्वंद्वी बी. सुदर्शन रेड्डी विपक्षी दलों द्वारा समर्थित हैं, जो एनडीए के खिलाफ साझा मोर्चा बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

चुनाव ने राजनीतिक बहस को भी तेज़ कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मतदान के बाद कहा, “उपराष्ट्रपति का पद हमारे संसदीय लोकतंत्र का केंद्रीय हिस्सा है। मुझे पूरा विश्वास है कि निर्वाचित प्रतिनिधि इसकी गरिमा और जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभाएंगे।”

वहीं, विपक्षी नेताओं ने क्षेत्रीय दलों के मतदान से दूर रहने पर चिंता जताई। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि इस फैसले ने “तराज़ू का संतुलन बिगाड़ दिया,” लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि विपक्ष का उम्मीदवार एकता और प्रतिरोध का प्रतीक है।

चुनाव के नतीजे देर शाम तक आने की उम्मीद है और यदि वर्तमान अनुमान सही साबित हुए तो सी.पी. राधाकृष्णन देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका संभालने जा रहे हैं। उनकी जीत न केवल संसद में एनडीए की पकड़ को मज़बूत करेगी, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति की नई दिशा भी दर्शाएगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि बीजद और बीआरएस जैसे दलों का मतदान से दूर रहना यह दर्शाता है कि क्षेत्रीय दल सीधे टकराव से बचते हुए रणनीतिक तटस्थता को तरजीह दे रहे हैं। इसका असर 2029 के आम चुनावों पर भी देखा जा सकता है।

फिलहाल, सबकी निगाहें परिणामों पर टिकी हैं, क्योंकि उपराष्ट्रपति का पद लोकतंत्र की निष्पक्षता और संसद की सुचारू कार्यप्रणाली का प्रतीक बना हुआ है।

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