उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को घोषणा की कि पिछले आठ वर्षों में करीब आठ लाख युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की “निष्पक्ष, पारदर्शी और जवाबदेह” व्यवस्था का परिणाम है।
मुख्यमंत्री राजधानी लखनऊ में आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे, जहाँ नए चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए। उन्होंने कहा, “हर युवा को समान अवसर मिलना चाहिए। मुझे गर्व है कि उत्तर प्रदेश ने एक ऐसी भर्ती प्रणाली बनाई है जहाँ केवल योग्यता ही चयन का आधार है। पिछले आठ वर्षों में आठ लाख युवाओं ने पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया से सरकारी सेवाओं में प्रवेश किया है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की भर्ती प्रणाली ने युवाओं के बीच विश्वास को मजबूत किया है, जो पहले चयन प्रक्रियाओं को पक्षपात और भ्रष्टाचार से प्रभावित मानते थे। “आज यूपीपीएससी की परीक्षा की विश्वसनीयता पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। हमने निष्पक्षता का मानक स्थापित किया है,” उन्होंने जोड़ा।
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि निष्पक्ष भर्ती से शासन व्यवस्था भी मजबूत हुई है। हाल के वर्षों में हजारों शिक्षक, पुलिसकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी, अभियंता और प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जिससे जनता तक सेवाएँ अधिक प्रभावी ढंग से पहुँच रही हैं।
यूपी लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) राज्य का प्रमुख भर्ती संस्थान है, जो विभिन्न सरकारी विभागों के लिए प्रतियोगी परीक्षाएँ और साक्षात्कार आयोजित करता है। 2017 से पहले आयोग पर देरी, लंबित रिक्तियों और गड़बड़ियों के आरोप लगते रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालने के बाद भर्ती प्रणाली को मजबूत बनाने का वादा किया था।
इसके बाद से सरकार ने “मिशन रोजगार” को प्रमुख कार्यक्रम के रूप में आगे बढ़ाया, जिसके तहत सरकारी और निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित किए गए। नौकरी वितरण के साथ-साथ कौशल विकास, आईटीआई और डिजिटल प्रशिक्षण पर भी ज़ोर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने रोजगार सृजन में कौशल प्रशिक्षण की भूमिका पर बल दिया। वर्षों में राज्य ने प्रशिक्षण केंद्र, व्यावसायिक संस्थान और डिजिटल स्किल प्रोग्राम का विस्तार किया है। प्रशिक्षण प्राप्त हजारों युवा सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
योगी ने कहा कि रोजगार केवल नियुक्ति पत्र तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि युवाओं को ऐसे कौशल देने चाहिए जो उन्हें दीर्घकालिक रूप से सक्षम बनाएँ। “हम केवल नौकरियाँ नहीं दे रहे, हम करियर बना रहे हैं। एक कुशल युवा केवल राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश की संपत्ति है।”
जहाँ सरकार इस उपलब्धि को अपनी बड़ी सफलता मान रही है, वहीं विपक्ष का कहना है कि नौकरियों की गुणवत्ता और स्थायित्व पर भी सवाल उठते हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि संविदा आधारित या अल्पकालिक नियुक्तियाँ स्थायी समाधान नहीं हैं। हालाँकि सरकार का दावा है कि स्थायी सरकारी पदों पर मेरिट आधारित भर्ती पहले से कहीं अधिक मजबूत हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस भर्ती मॉडल की असली परीक्षा आने वाले वर्षों में होगी, क्योंकि राज्य में युवा आबादी लगातार बढ़ रही है। फिलहाल, आठ लाख सरकारी नौकरियों का वितरण आने वाले चुनावों से पहले एक बड़ा प्रशासनिक और राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
समारोह के अंत में योगी आदित्यनाथ ने नियुक्त युवाओं से कहा, “आप नए उत्तर प्रदेश का चेहरा हैं। ईमानदारी से काम करें, जनता के प्रति समर्पित रहें और याद रखें कि आप लाखों परिवारों की उम्मीदों का प्रतिनिधित्व करते हैं।”
