क्या कोई सोच सकता है कि मौजूदा सरकार अपने ही प्रधानमंत्री को गिरफ्तार करेगी? सिंघवी ने गंभीर आरोपों पर मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, प्रधानमंत्रियों को हटाने वाले विधेयकों पर उठाए सवाल, कहा- ‘यह लोगों की बुद्धिमत्ता का अपमान है’
खबर का सार भारतीय राजनीति और कानून के गलियारों में एक नया तूफान खड़ा हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने हाल ही में लाए गए एक विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। सिंघवी ने कहा कि इस तरह के कानून से एक सिपाही के पास भी सरकारें बदलने की शक्ति आ जाएगी, और इसका इस्तेमाल हमेशा विपक्षी सरकारों के खिलाफ ही किया जाएगा।
सिंघवी का सीधा वार मीडिया से बात करते हुए सिंघवी ने अपनी बात को तर्कपूर्ण तरीके से रखा। उन्होंने सवाल किया, “क्या कोई भी व्यक्ति अपने होश में यह मान सकता है कि सत्तारूढ़ पार्टी अपने ही प्रधानमंत्री को गिरफ्तार करेगी? क्या यह संभव है?” उन्होंने आगे कहा कि “यह कानून सीधे तौर पर केवल विपक्षी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और प्रधानमंत्रियों को निशाना बनाएगा।” सिंघवी ने इस कानून को “राजनीतिक प्रतिशोध” का एक नया औजार बताया।
बुद्धिमत्ता का अपमान सिंघवी ने इस विधेयक को ‘जनता की बुद्धिमत्ता का अपमान’ बताया। उनका कहना था कि गंभीर आरोपों में घिरे मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्रियों को हटाने वाले प्रावधानों का इस्तेमाल केवल राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ होगा। सिंघवी ने तर्क दिया कि जब भी सत्ताधारी दल के किसी व्यक्ति पर आरोप लगेंगे, तो ये प्रावधान लागू नहीं होंगे, लेकिन विपक्ष के नेताओं पर आरोप लगने पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
विधेयक पर राजनीतिक बहस सिंघवी की टिप्पणी के बाद, इस विधेयक पर राजनीतिक बहस और तेज हो गई है। कांग्रेस इसे ‘लोकतंत्र विरोधी’ और ‘तानाशाही’ की ओर बढ़ाया गया कदम बता रही है। वहीं, सत्ता पक्ष का कहना है कि यह विधेयक कानून-व्यवस्था को मजबूत करने और भ्रष्ट नेताओं को सत्ता से हटाने के लिए लाया गया है। लेकिन, सिंघवी के सवालों ने एक बार फिर इस बहस को एक नई दिशा दे दी है, और यह मुद्दा आने वाले दिनों में और गरमा सकता है।