बिहार के मोकामा विधानसभा उपचुनाव में जैसे-जैसे चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है, वैसे-वैसे जेल में बंद बाहुबली नेता अनंत सिंह का नाम और प्रभाव एक बार फिर सियासी चर्चाओं के केंद्र में है। इसी बीच, जेडीयू नेता ललन सिंह के खिलाफ एक नया एफआईआर दर्ज होने से राजनीतिक माहौल और भी गरम हो गया है।
ललन सिंह, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी माने जाते हैं, ने मोकामा में अपना चुनाव प्रचार समाप्त किया। इस दौरान क्षेत्र की गलियों और बाजारों में “मैं भी अनंत” लिखे पोस्टर और नारे गूंजते रहे, जो यह दर्शाते हैं कि जेल में होने के बावजूद अनंत सिंह का राजनीतिक प्रभाव अब भी कायम है।
मोकामा के “छोटे सरकार” कहलाने वाले अनंत सिंह लंबे समय से क्षेत्र की राजनीति में केंद्रीय भूमिका निभाते रहे हैं। विधानसभा से अयोग्य ठहराए जाने और सजा मिलने के बाद भी उनका प्रभाव समाप्त नहीं हुआ। उनकी पत्नी नीलम देवी ने इसी सीट से चुनाव जीतकर परिवार की राजनीतिक पकड़ बनाए रखी है।
ललन सिंह की अगुवाई में जेडीयू ने नीतीश कुमार और आरजेडी के महागठबंधन के तहत संगठन को मजबूत करने की कोशिश की, लेकिन ज़मीनी स्तर पर मतदाताओं की निष्ठा अब भी व्यक्ति विशेष पर टिकी दिखती है।
प्रचार के दौरान एक सभा में दिए गए बयानों को लेकर ललन सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस के अनुसार, उन पर “सार्वजनिक शांति भंग करने वाले वक्तव्य” देने का आरोप है। हालांकि, सिंह ने इन आरोपों को “राजनीतिक साज़िश” बताया।
विपक्ष ने इस घटना को तुरंत भुनाया। एक आरजेडी कार्यकर्ता ने कहा, “जेडीयू ज़मीन पर कमजोर पड़ रही है, इसलिए बयानों को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है।”
बारिश, भीड़भाड़ और प्रशासनिक दबाव के बीच भी जेडीयू कार्यकर्ता घर-घर जाकर राज्य सरकार की योजनाओं — महिलाओं के सशक्तिकरण, बिजलीकरण और सड़क परियोजनाओं — की जानकारी दे रहे हैं। लेकिन पूरे क्षेत्र में “मैं भी अनंत” वाले पोस्टर यह संकेत देते हैं कि जनता के दिल में अनंत सिंह का असर अब भी बरकरार है।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. राकेश कुमार के अनुसार, “अनंत सिंह भले ही जेल में हैं, लेकिन मोकामा की राजनीति में उनका नाम आज भी प्रतीक बन चुका है। किसी भी पार्टी के लिए सफलता तभी संभव है, जब वे इस जनभावना को समझें।”
यह उपचुनाव नीतीश कुमार के नए गठबंधन की लोकप्रियता की परीक्षा भी माना जा रहा है। अगर जेडीयू को बढ़त मिलती है, तो यह मुख्यमंत्री की रणनीति को मजबूती देगा; जबकि नतीजे विपरीत आए तो आरजेडी को नए राजनीतिक अवसर मिल सकते हैं।
मोकामा की गलियों में आज भी नीतीश कुमार और अनंत सिंह दोनों के पोस्टर लगे हैं। मतदाता विकास की बातों और पुराने स्नेह के बीच झूल रहे हैं। यह चुनाव तय करेगा कि मोकामा व्यक्तिगत राजनीति से ऊपर उठने को तैयार है या “छोटे सरकार” की विरासत अब भी हावी है।
